Tuesday, 1 May 2018

नीच भंग राज योग

             
ग्रह अगर नीच राशि में बैठा हो या शत्रु भाव में तो आम धारणा यह होती है कि जब उस ग्रह की दशा आएगी तब वह जिस घर में बैठा है उस घर से सम्बन्धित विषयों में नीच का फल देगा. लेकिन इस धारणा से अगल एक मान्यता यह है कि नीच में बैठा ग्रह भी कुछ स्थितियों में राजगयोग के समान फल देता है. इस प्रकार के योग को नीच भंग राजयोग के नाम से जाना जाता है.
नीच भंग राजयोग के लिए आवश्यक स्थितियां :
ज्योतिषशास्त्र के नियमों में बताया गया है कि नवमांश कुण्डली में अगर ग्रह उच्च राशि में बैठा हो तो जन्म कुण्डली में नीच राशि में होते हुए भी वह नीच का फल नहीं देता है. इसका कारण यह है कि इस स्थिति में उनका नीच भंग हो जाता है.

जिस राशि में नीच ग्रह बैठा हो उस राशि का स्वामी ग्रह उसे देख रहा हो अथवा जिस राशि में ग्रह नीच होकर बैठा हो उस राशि का स्वामी स्वगृही होकर साथ में बैठा हो तो स्वत: ही ग्रह का नीच भंग हो जाता है. नीच भंग के संदर्भ में एक नियम यह भी है कि नीच राशि में बैठा ग्रह अगर अपने सामने वाले घर यानी अपने से सातवें भाव में बैठे नीच ग्रह को देख रहा है तो दोनों नीच ग्रहों का नीच भंग हो जाता है.
अगर आपकी कुण्डली में ये स्थितियां नहीं बनती हों तो इन नियमों से भी नीच भंग का आंकलन कर सकते हैं जैसे जिस राशि में ग्रह नीच होकर बैठे हों उस राशि के स्वामी अपनी उच्च राशि में विराजमान हों तो नीच ग्रह का दोष नहीं लगता है. एक नियम यह भी है कि जिस राशि में ग्रह नीच का होकर बैठा है उस ग्रह का स्वामी जन्म राशि से केन्द्र में विराजमान है साथ ही जिस राशि में नीच ग्रह उच्च का होता है उस राशि का स्वामी भी केन्द्र में बैठा हो तो सर्वथा नीच भंग राज योग बनता है. अगर यह स्थिति नहीं बनती है तो लग्न भी इस का आंकलन किया जा सकता है यानी जिस राशि में ग्रह नीच होकर बैठा उस राशि का स्वामी एवं जिस राशि में नीच ग्रह उच्च का होता है उसका स्वामी लग्न से कहीं भी केन्द्र में स्थित हों तो नीच भंग राज योग का शुभ फल देता है.
अगर आपकी कुण्डली में ग्रह नीच राशियों में बैठे हैं तो इन स्थितियों को देखकर आप स्वयं अंदाजा लगा सकते हैं कि आपकी कुण्डली में नीच राशि में बैठा ग्रह नीच का फल देगा अथवा यह नीच भंग राजयोग बनकर आपको अत्यंत शुभ फल प्रदान करेगा.
नीच भंग राजयोग का फल :
नीच भंग राज योग कुण्डली में एक से अधिक होने पर भी उसी प्रकार फल देता है जैसे एक नीच भंग राज योग होने पर .! आधुनिक परिवेश में ज्योतिषशास्त्री मानते है कि ऐसा नहीं है कि इस योग के होने से व्यक्ति जन्म से ही राजा बनकर पैदा लेता है. यह योग जिनकी कुण्डली में बनता है उन्हें प्रारम्भ में कुछ मुश्किल हालातों से गुजरना पड़ता है जिससे उनका ज्ञान व अनुभव बढ़ता है तथा कई ऐसे अवसर मिलते हैं जिनसे उम्र के साथ-साथ कामयाबी की राहें प्रशस्त होती जाती हैं.

यह योग व्यक्ति को आमतौर पर राजनेता, चिकित्सा विज्ञान एवं धार्मिक क्षेत्रों में कामयाबी दिलाता है जिससे व्यक्ति को मान-सम्मान व प्रतिष्ठा मिलती है. वैसे, इस योग के विषय में यह धारणा भी है कि जिस व्यक्ति की कुण्डली में जिस राशि में ग्रह नीच होकर बैठा है उस राशि का स्वामी एवं उस ग्रह की उच्च राशि का स्वामी केन्द्र स्थान या त्रिकोण में बैठा हो तो व्यक्ति महान र्धमात्मा एवं राजसी सुखों को भोगने वाला होता है. इसी प्रकार नवमांश में नीच ग्रह उच्च राशि में होने पर भी समान फल मिलता है.

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