Wednesday 25 December 2019

मिथुन लग्न और कुछ महत्वपूर्ण योग

मिथुन भचक्र की तीसरे स्थान पर आने वाली राशि है। भचक्र पर इसका विस्तार 60 अंश से 90 अंश तक होता है । तीन नंबर राशि होने से जातक मेहनती होता है । राशि स्वामी बुद्ध देवता हैं अतः जातक का बुद्धिमान होना स्वाभाविक ही है । वायु तत्व होने से ऐसा जातक बातों का धनि होता है । योजनाओं के क्रियान्वन में दिक्कतों का सामना करना पड़ता है । ऐसे जातक बड़ी आसानी से झूठ बोल सकते हैं और कुछ तो झूठ बोलने को योग्यता भी मानते हैं। अपना काम निकलते ही किसी को भी टाटा बाई बाई कह सकते हैं । द्विस्वभावी राशि होने से इनके व्यवहार में ये बदलाव आसानी से देखने को मिल जाता है । 
इन जातकों को हंसी मजाक करना अच्छा लगता है । वाद – विवाद व तर्क्-वितर्क में अति कुशल व हाजिरजवाब होते हैं ।यह जातक स्वभाव से विद्याव्यसनी होते हैं। लेखक,वाचक,तीव्रबुद्धि,कई भाषाओं के जानकार, बातचीत में मुहावरे,कहावत आदि का प्रयोग, कविताएं व शायरी करने वाले, बातों के धनी, गम्भीरता पूर्वक विचार करने वाले, तर्क में चतुर, दूसरों पर अपना प्रभाव छोड़ने वाले,परिवर्तन पसंद, संगीत ,नृत्य में आनंद लेने वाले,बिना रुके बिना थके कार्य करने वाले,अच्छे व्यापारी व अच्छे ज्योतिषी होते हैं। लकीर के फ़क़ीर न होकर अपनी राह खुद चुनने वाले होते हैं। मित्र व संबंधियों की सहायता से भाग्योन्नति प्राप्त करते हैं।

मिथुन राशि की कमियाँ :- मिथुन लग्न में जन्मे लोगो में आत्मविश्वाश की कमी के कारण चिंताग्रस्त  रहने वाले, रोगपीडित, धनलोभी, स्वार्थी, निंदनीय, कुमित्र की भांति आचरण करने वाले, लड़ाकू, हिंसक, स्त्री सुख भोगी, प्रसन्नचित्त होते हुए भी चिंताग्रस्त,  अपनी स्त्री के विरोधी, गुरूजनों के आज्ञापालक, ब्राह्मणों के सेवक, विरोधी प्रकृति वाले होते हैं। चुगलखोर, परदेस द्वारा धन अर्जित करने वाले, इनके धन का व्यय ज्ञानी पुरुषों के समागम तथा कुलटा स्त्रियों के संपर्क में अधिक होता है। इनमें सज्जनता और दुर्जनता दोनों का समन्वय मिलता है। इन्हें दांव पेंच भी खूब आते हैं। विरोधियों को षडयंत्रो से शांत करते हैं। खुलकर सामने नही आतें।
विपरीत लिंग के प्रति विशेष आकर्षण ,सौन्दर्य उपासक ,फैशन प्रिय होते हैं। इनका हृदय बुद्धि के  पीछे चलता है।
यहाँ एक स्त्री और एक पुरुष है। जो बहुत प्रसन्न है। सबसे पहली बात इस लग्न के जातक जब भी कोई काम करते हैं तो 2 दिमाग से करते हैं अर्थात् एक स्वयं का और एक अन्य। इनमें विपरीत लिंग के प्रति आकर्षण रहता है चाहे स्त्री हो या पुरुष । लव बर्ड्स की तरह होते हैं   ।

मिथुन लग्न के नक्षत्र:-
मिथुन राशि मृगशीर्ष – तृतीय एवं चतुर्थ चरण, आद्रा के चार चरण तथा पुनर्वसु – प्रथम, द्वितीय एवं तृतीय चरण से बनती है । मिथुन राशि का विस्तार राशि चक्र के 60 अंश से 90 अंश के बीच पाया जाता है ।
लग्न स्वामी : बुद्ध
लग्न चिन्ह : स्त्री पुरुष जोड़ा
तत्व: वायु
जाति: शूद्र
स्वभाव : द्विस्वभावी
लिंग : पुरुष संज्ञक
अराध्य/इष्ट : माँ दुर्गा



मिथुन लग्न के लिए शुभ/कारक ग्रह: –
ध्यान देने योग्य है की यदि कुंडली के कारक ग्रह भी तीन, छह, आठ, बारहवे भाव या नीच राशि में स्थित हो जाएँ तो अशुभ हो जाते हैं । ऐसी स्थिति में ये ग्रह अशुभ ग्रहों की तरह रिजल्ट देते हैं । आपको ये भी बताते चलें की अशुभ या मारक ग्रह भी यदि छठे, आठवें या बारहवें भाव के मालिक हों और छह, आठ या बारह भाव में या इनमे से किसी एक में भी स्थित हो जाएँ तो वे विपरीत राजयोग का निर्माण करते हैं । ऐसी स्थिति में ये ग्रह अच्छे फल प्रदान करने के लिए बाध्य हो जाते हैं । यहां ध्यान देने योग्य है की विपरीत राजयोग केवल तभी बनेगा यदि लग्नेश बलि हो । यदि लग्नेश तीसरे छठे, आठवें या बारहवें भाव में अथवा नीच राशि में स्थित हो तो विपरीत राजयोग नहीं बनेगा ।
बुद्ध ग्रह : लग्न व् चतुर्थ का स्वामी है, शुभ ग्रह है ।

शुक्र ग्रह : पंचमेश व् द्वादशेश होने से कारक / शुभ है ।

शनि ग्रह : अष्टमेश ,नवमेश है । अतः शुभ ग्रह है ।

गुरु ग्रह: सप्तमेश व् दशमेश होने से सम ग्रह है ।



मिथुन लग्न के लिए अशुभ/मारक ग्रह: –

मंगल ग्रह: षष्ठेश , एकादशेश है । अतः मारक है ।

सूर्य ग्रह: तृतीयेश होने से मारक है ।

चंद्र ग्रह : दुसरे भाव का स्वामी है, अशुभ ग्रह है ।