आकाश में 330 डिग्री से 360 डिग्री तक के भाग को मीन लग्न के नाम से जाना जाता है. जिस जातक के जन्म के समय यह भाग आकाश के पूर्वी क्षितिज में होता है उसकी राशि मीन होती है. मीन राशि जल तत्व वाली राशि है. इसका स्वामी गुरू यानि बृहस्पति होता है।
मीनलग्न के स्वामी बृहस्पति है। बृहस्पति देवताओं के गुरू माने जाते हैं। ऐसे व्यक्ति, गौरवर्ग, कायन देह, मछली के समान आकर्षक व सुन्दर आँखों वाले होते हैं .इनके बाल घुंगराले एवं नाक ऊंची होती है। इनके दांत छोटे एवं पैने होते हैं. मीन लग्न में जन्मे व्यक्ति धार्मिक बुद्धि से ओतप्रोत, मेहमान प्रिय, सामाजिक अच्छाईयों व नियमों का पालन करने वाले होते है। ऐसे जातक आस्तिक एवं ईश्वर के प्रति श्रद्धावान होते हैं तथा सामाजिक रूढ़ियों का कट्टरता से पालन करते हैं। आप कूटनीति, रणनीति व षडयंत्रकारी मामलों में एक कभी रूचि नहीं लेते। इनका प्राकृति स्वभाव उत्तम दायलु व दानशीलता है। सामान्यता मीनलग्न में उत्पन्न जातक स्वास्थ्य एवं दर्शनीय होते है। तथा सौम्यता की छाप हमेशा विद्यमान रहती हे।
प्रायः लेखन कार्य में इनकी रूचि रहा करती है। संगीत, नाटक एवं साहित्य की और इनका विशेष झुकाव होता है। फिजूलखर्ची इन्हें पसंद नही होती। आत्मविश्वास के धनी ऐसे जातक अपने लक्ष्य को प्राप्त कर ही लेते हैं। न्याय का पक्ष लेते हैं तथा कानून का सम्मान करते हैं। ऐसे जातक स्वभाव के इतने सौम्य होते हैं कि भले ही कोई इनके साथ दुष्टता का व्यवहार करें, किन्तु ये बदले में भलाई ही करेंगे, बुराई नहीं।
प्राकृतिक दृश्यों का अवलोकन करके इनको शांति एवं संतुष्टि की प्राप्ति होती है। प्रेम के क्षेत्र में ये सरल और भावुक रहते है। परन्तु व्यवहार कुशल होते है। अतः सांसारिक कार्यों में उचित सफलता अर्जित करके अपने उन्नति मार्ग प्रशस्त करने में सफल रहते हैं। इसके अतिरिक्त नवीन वस्तुओं के उत्पादन आदि में इनकी रूचि रहती है तथा इस क्षेत्र में इनका प्रमुख योगदान रहता है।
आकर्षक व्यक्तित्व के कारण अन्य लोग भी आपसे प्रभावित रहते हैं. लेखन के प्रति आपकी रूचि होगी तथा इस क्षेत्र में आप आदर एवं प्रतिष्ठा भी अर्जित कर सकते है। अभिमान के भाव की आप अल्पता होगा तथा सबके साथ विनम्रता का व्यवहार करेंगे। आप में दयालुता का भाव भी विद्यमान होगा तथा अवसरानुकूल अन्य जनों की सेवा तथा सहायता करने के लिए तत्पर होंगे। इसके अतिरिक्त साहित्य एवं कला के प्रति भी आपकी रूचि रहेगी।
-:मीन लग्न के लिए शुभ/कारक ग्रह :-
गुरु - लग्नेश और कर्मेश होने के कारण शुभ एवं कारक ग्रह है।
मंगल - धनेश एवं भाग्येश होने के कारण शुभ एवं कारक ग्रह है।
चंद्र - पंचमेश होने के कारण शुभ एवं कारक ग्रह है।
-:मीन लग्न के लिए अशुभ/मारक ग्रह :-
शुक्र - तृतीयेश एवं अष्टमेश होने के कारण अशुभ/मारक ग्रह है।
सूर्य - षष्टेश होने के कारण मारक ग्रह है।
शनि - एकादश एवं द्वादश होने के कारण अशुभ/मारक ग्रह है।
बुध - यह मीन लग्न में सम होता है।
लग्न स्वामी : गुरु
लग्न तत्व: जल
लग्न चिन्ह :दो मछलियाँ
लग्न स्वरुप: द्विस्वभाव
लग्न स्वभाव: सौम्य
लग्न उदय: उत्तर
लग्न प्रकृति: त्रिधातु प्रकृति
जीवन रत्न: पुखराज
अराध्य: भगवान् विष्णु
लग्न गुण : सतोगुण
अनुकूल रंग: पीला
लग्न जाति: ब्राह्मण
शुभ दिन: गुरूवार, रविवार
शुभ अंक: 3
जातक विशेषता: भावुक
मित्र लग्न :कर्क, वृश्चिक
शत्रु लग्न : मेष, सिंह
लग्न लिंग: स्त्री।