Saturday 17 August 2019

एकादश भाव का महत्व व विशेषता


कुंडली के ग्यारहवें घर को भारतीय वैदिक ज्योतिष में लाभ स्थान अथवा लाभ भाव कहा जाता है तथा कुंडली का यह घर मुख्य तौर पर कुंडली धारक के जीवन में होने वाले वित्तिय तथा अन्य लाभों के बारे में बताता है। ज्योतिष विज्ञान के अनुसार व्यक्ति की आर्थिक स्थिति उसकी कुंडली के घरों में विराजमान ग्रहों के स्थान पर निर्भर करती है। अगर आपके ग्रह मित्रवत हैं, कृपालु हैं, तो मिट्टी भी हाथ लगाते ही सोना बन जाती है, लेकिन अगर ग्रह विपरीत हैं, अप्रसन्न हैं, तो बनते हुए काम भी बिगड़ जाते हैं। जिनके ग्रह अनुकूल हैं, वे सफलता की सीढि़यां चढ़ते जाते हैं और दुनिया उन्हें देखकर आहें भरती है। कुंडली के इस घर द्वारा बताए जाने वाले लाभ बिना मेहनत किए मिलने वाले लाभ जैसे कि लाटरी में इनाम जीत जाना, सट्टेबाज़ी अथवा शेयर बाजार में एकदम से पैसा बना लेना तथा अन्य प्रकार के लाभ जो बिना अधिक प्रयास किए ही प्राप्त हो जाते हैं, भी हो सकते हैं। ग्यारहवें घर पर शुभ राहु का प्रभाव कुंडली धारक को लाटरी अथवा शेयर बाजार जैसे क्षेत्रों में भारी मुनाफ़ा दे सकता है जबकि इसी घर पर बलवान तथा शुभ बुध का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक को व्यवसाय के किसी नए तरीके के माध्यम से भारी लाभ दे सकता है। वहीं दूसरी ओर कुंडली के इस घर के बलहीन होने से या बुरे ग्रहों के प्रभाव में होने से कुंडली धारक को अपने जीवन में उपर बताए गए क्षेत्रों में लाभ होने की संभावनाएं कम हो जाती हैं तथा कुंडली के ग्यारहवें घर पर अशुभ तथा बलवान राहु का प्रबल प्रभाव कुंडली धारक का बहुत सा धन जुए अथवा शेयर बाजार जैसे क्षेत्रों में खराब करवा सकता है।
 

कुंडली का ग्यारहवां घर कुंडली धारक के लोभ तथा महत्त्वाकांक्षा को भी दर्शाता है क्योंकि इस कुंडली के इस घर से होने वाले लाभ आम तौर पर उन क्षेत्रों से ही प्राप्त होते हैं जिनमें अपनी किस्मत आजमाने वाले अधिकतर लोग रातों रात अमीर बन जाने के अभिलाषी होते हैं तथा इसके लिए वे ऐसे ही क्षेत्रों का चुनाव करते हैं जो उन्हें एकदम से अमीर बना देने में सक्षम हों। क्योंकि ऐसे सभी क्षेत्रों में पैसा कमाने के लिए मेहनत तथा लग्न से अधिक किस्मत की आवश्यकता होती है, इसलिए रातों रात इन क्षेत्रों के माध्यम से पैसा कमाने की कामना करने वाले लोगों में आम तौर पर लोभ तथा महत्त्वाकांक्षा की मात्रा सामान्य से अधिक होती है।
अन्य नाम हैं- पणफर, उपचय, लब्धि, एकादश। इस भाव से प्रत्येक प्रकार के लाभ, मित्र, पुत्र वधू, पूर्व संपन्न कर्मों से भाग्योदय, सिद्धि, आशा, माता की मृत्यु आदि विषयों का पता चलता है। इसे भाव से मित्र, बहू-जंवाई, भेंट-उपहार, लाभ, आय के तरीके, पिंडली के बारे में जाना जाता है। इससे हमें मित्र, समाज, आकांक्षाएं, इच्छापूर्ति, आय, व्यवसाय में उन्नति, ज्येष्ठ भाई, रोग से मुक्ति, टखना, द्वितीय पत्नी, कान, वाणिज्य-व्यापार, परराष्ट्रों से लाभ, अंतरराष्ट्रीय संबंध आदि पता चलता है।  कुंडली के ग्यारहवें घर के बलवान होने पर तथा इस घर पर एक या एक से अधिक शुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर कुंडली धारक अपने जीवन में आने वाले लाभ प्राप्ति के अवसरों को शीघ्र ही पहचान जाता है तथा इन अवसरों का भरपूर लाभ उठाने में सक्षम होता है जबकि कुंडली के ग्यारहवें घर के बलहीन होने पर अथवा इस घर पर एक या एक से अधिक अशुभ ग्रहों का प्रभाव होने पर कुंडली धारक अपने जीवन में आने वाले लाभ प्राप्ति के अधिकतर अवसरों को सही प्रकार से समझ नही पाता तथा इस कारण इन अवसरों से कोई विशेष लाभ नहीं उठा पाता। एकादश भाव में यदि बुध है तो व्यक्ति बड़ा व्यापारी होता है। सूर्य होने पर उसकी आय का साधन नौकरी होता है। यदि एक से अधिक शुभ ग्रह हों और उन पर किसी पाप ग्रह की दृष्टि न हो तो व्यक्ति के आय के एक से अधिक साधन होते हैं। 11वें भाव में मंगल की युति होने पर व्यक्ति भूमि, संपत्ति के कार्यों से धन अर्जित करता है। ऐसा व्यक्ति धनी किसान होता है। इसलिए अच्छा जीवन जीने के लिये जो मूलभूत व सभी सुख सुविधाएं है हमें इसी घर से ही प्राप्त होती है व हमारी इच्छापूर्ति के लिये कुंडली में 11 भाव का शुभ होना ज़रूरी है।

एकादश भाव के कारकत्व :-
लाभ, पूर्ति, मित्र, व्यक्तित्व, आभूषण, बड़े भाई एवं दोष तथा पीड़ा से मुक्ति आदि को एकादश भाव से ज्ञात किया जा सकता है। जन्म कुंडली में एकादश भाव मुख्य रूप से जातकों की इच्छाओं, आशाओं और आकांक्षाओं का बोध कराता है। यह भाव कार्य अथवा व्यवसाय से होने वाले लाभ, उच्च शिक्षा अथवा विदेशी सहभागिता, चुनाव, मुक़दमा, सट्टा, लेखन एवं स्वास्थ्य आदि को दर्शाता है।

ज्योतिष में एकादश भाव का महत्व :-
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में एकादश भाव लाभ का स्थान होता है। काल पुरुष कुंडली में एकादश भाव की राशि कुंभ है और कुंभ राशि का स्वामी ग्रह शनि होता है। जातका देश मार्ग के लेखक के अनुसार, एकादश भाव से कर्मों के द्वारा प्राप्त होने वाले लाभ एवं कष्ट मुक्त जीवन की भविष्यवाणी की जाती है। भटोत्पल के अनुसार, घोड़े एवं हाथियों की सवारी, परिधान, फसलें, आभूषण, बुद्धि एवं धन से संबंधित जानकारी कुंडली में ग्यारहवें भाव से प्राप्त होती है।

उत्तर-कालामृत में कालिदास के अनुसार एकादश भाव से निम्न बातों की जानकारी प्राप्त होती है: इच्छा और इच्छाओं का अहसास, धन का अधिग्रहण, प्रयास द्वारा प्राप्त लाभ, आय, निर्भरता, बड़े भाई, चाचा-ताऊ, देवताओं की पूजा, ईश्वर भक्ति, बुजुर्गों के प्रति सम्मान, ज्ञान द्वारा प्राप्त लाभ, उच्च बौद्धिक स्तर, नियोक्ता के कल्याण, धन हानि, महंगी धातू, गहने आदि का अधिकार, दूसरों को सलाह देना, भाग्य, माँ की दीर्घायु, बायाँ कान, घुटने, चित्रकला एवं सुखदायक और मोहक संगीत या खुशखबरी, मंत्रिपरिषद आदि।

यह भाव समृद्धि, लाभ, कार्य में सफलता, उपलब्धि के बाद प्राप्त होने वाला सूकून, साझेदारी एवं स्थायी मित्रता का बोध कराता है। यदि आप किसी दूसरे व्यक्ति को धन उधार में देते हैं तो उस धन पर लगने वाला ब्याज और उसका मूलधन को ग्यारहवें भाव से विचार किया जाएगा। वहीं दूसरी ओर, यदि आप किसी व्यक्ति से धन उधार लेते हैं तो कुंडली में पाँचवाँ भाव उस धन से संबंधित होगा।

प्रेम करने वाले जातक को ग्यारहवें भाव के माध्यम से अधिक सटीकता से परखा जा सकता है क्योंकि यह भाव किसी व्यक्ति का किसी दूसरे व्यक्ति से भावनात्मक संबंध को भी बताता है। ख़ुशहाल वैवाहिक जीवन के लिए कुंडली में दूसरा, सातवाँ और ग्यारहवाँ भाव अवश्य देखना चाहिए। इसके अतिरिक्त कुंडली में एकादश भाव जातकों के सामाजिक और वित्तीय मामलों में सफलता के विषय में जानकारी मिलती है।

ज्योतिष में एकादश भाव बहुत ही प्रभावशाली भाव होता है। यह भाव जातकों की विश्वसनीयता की ओर भी इशारा करता है। इसके साथ कुंडली में एकादश भाव वित्तीय मामलों या नियोक्ता की संपत्ति का प्रतिनिधित्व करता है। शारीरिक दृष्टि से, एकादश भाव का संबंध जातकों के बाएं कान और बाएं हाथ से होता है।

विद्वान ज्योतिष वैद्यनाथ दिक्षित के अनुसार, धन संचय को लेकर जातकों के ग्यारहवें भाव को देखा जाना चाहिए। वहीं वराहमिहिर के अनुसार, कुंडली में एकादश भाव आय का भाव होता है। यह व्यक्ति की आमदनी के विषय में जानकारी देता है। सर्वार्थ चिंतामणि के अनुसार, यदि किसी जातक का एकादश भाव अथवा इस भाव के स्वामी बली हैं तो इसके प्रभाव से जातक के जीवन में धन-वैभव और संपन्नता आती है। मंत्रेश्वर ने इस भाव को सिद्धि तथा प्राप्ति का भाव कहा है।

मेदिनी ज्योतिष में एकादश भाव से संसद, कानून, राज्य विधायकों, राज्य, शहर, देश, राष्ट्रीय कोष, मुद्रा मुद्रण, सरकारी विभाग, लोकसभा, राज्य विधानसभाओं के निचले सदनों, निगमों, नगर निकायों, जिला बोर्ड, पंचायत, निकायों के नियम आदि का विचार किया जाता है। इसके अतिरिक्त एकादश भाव राजदूत, उपराष्ट्रपति, सलाहकार समूह, राज्य स्तरीय शासकीय निकाय, राष्ट्रीय उद्देश्य, राष्ट्रीय योजनाएँ, राष्ट्र के मित्र, उद्यम, क्लब, जुआ रिसॉर्ट्स, अनुयायियों, परियोजनाएँ, सहकारी समितियों, विरासतों को समाप्त करने, सार्वजनिक समारोह, समर्थक आदि को दर्शाता है।

प्रश्न ज्योतिष के अनुसार, कुंडली में एकादश भाव का संबंध किसी जातक की कामना और उसकी आकांक्षा को बताता है। जातकों के लिए यह भाव प्राप्ति का भी भाव होता है। वायदा बाज़ार भविष्यवाणी में सरकारी लोन, इलेक्ट्रॉनिक कंपनी, गैस एवं म्यूजियम आदि का संबंध एकादश भाव से होता है। घोड़ों की दौड़ आयोजन में एकादश भाव प्रबंधन समिति का प्रतिनिधित्व करता है। विभिन्न क्षेत्रों में विजेताओं का विचार भी एकादश भाव से होता है।


कुंडली में एकादश भाव से क्या देखा जाता है?
आय
लाभ
प्राप्ति
अधिकता
ज्येष्ठ भाई-बहन
मित्र
आर्थिक स्थिति
काम-वासना

 
एकादश भाव का अन्य भावों से अतंर्संबंध :-
ज्योतिष विज्ञान के अनुसार, कुंडली में 12 भावों होते हैं और इन भावों का संबंध एक-दूसरे से होता है। इसी प्रकार एकादश भाव का संबंध अन्य भावों से होता है। कुंडली में एकादश भाव लाभ का भाव होता है। इसके द्वारा जातकों के संतान को भी देखा जाता है और हम जानते हैं कि संतान जातकों की बुढ़ापे की लाठी बनती है। यह भाव उन लोगों को भी दर्शाता है जिनके द्वारा हमें सहयोग प्राप्त होता है।

ग्यारहवाँ भाव लाभ का कारक होता है। यह भाव सोना, कर्मों के द्वारा प्राप्त होने वाली प्रसिद्धि, बड़े संगठन और समिति आदि को दर्शाता है। एकादश भाव से किसी व्यक्ति के परिश्रम, चाची और चाचा, छोटी यात्रा और पिता के संदेश, मानसिक शांति, कानूनी शिक्षा, परीक्षक, गुप्त ज्ञान, पत्नी या पति के मामलों और उनके व्यापार निवेश लाभ, दुश्मनों के दुश्मन, नौकरों की बीमारी, किरायेदारों का कर्ज, पति-पत्नी का अफेयर और उनके व्यापारिक लाभ, संतान का वैवाहिक जीवन, भाइयों की विदेश यात्रा, माता जी की विरासत, पारिवारिक प्रतिष्ठा, दुश्मनों का विनाश और स्वास्थ्य लाभ का विचार किया जाता है ।

यह भाव आपकी पारिवारिक वंशावली, पड़ोसियों का धार्मिक एवं आध्यात्मिक विश्वास, माता की मृत्यु और पुनर्जन्म आदि को दर्शाता है। इसके साथ ही एकादश भाव संतान का जीवनसाथी, विदेशी जानवरों, संयुक्त राष्ट्र, गैर सरकारी संगठनों, शत्रुओं, बच्चों, लक्ष्यों, 8वें भाव के कर्म, अहंकार और आपके पिता की शैली एवं आपके व्यवसाय के संपर्क क्षेत्र को भी बताता है।


लाल किताब के अनुसार एकादश भाव :-
लाल किताब के अनुसार, ज्योतिष में 11वाँ भाव आपकी आमदनी, पड़ोसी अथवा न्यायाधीश, लाभ, अदालत एवं न्यायाधीश के आसन को दर्शाता है। तीसरे भाव में बैठे ग्रह एकादश भाव में स्थित ग्रहों को सक्रिय करते हैं। इस समय ग्यारहवें भाव में स्थित ग्रहों का प्रभाव जातकों के लिए सकारात्मक और नकारात्मक दोनों रह सकता है। हालाँकि दशा की समाप्ति पर जातकों पर इन ग्रहों का प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा।

इस प्रकार आप देख सकते हैं कि कुंडली में एकादश भाव का कितना व्यापक महत्व है। व्यक्ति अपने कर्म के अनुसार ही फल को प्राप्त करता है। इसलिए यदि व्यक्ति कोई बड़ी सफलता पाना चाहता है तो उसेअपने कर्मों को महान बनाने की आवश्यकता है।

एकादश भाव का परिचय- एकादश स्थान ही वह स्थान है जिससे मनुष्य को जीवन में प्राप्त होने वाले सभी प्रकार के लाभ ज्ञात हो सकते हैं| इसलिए इसे लाभ स्थान भी कहा जाता है| एकादश भाव दशम स्थान(कर्म) से द्वितीय है| अतः कर्मों से प्राप्त होने वाले लाभ या आय एकादश भाव से देखे जाते हैं| मनुष्य को प्राप्त होने वाली प्राप्तियों के संबंध में एकादश भाव सर्वाधिक महत्वपूर्ण भाव है| ये निज प्रयास या निजकर्मों द्वारा अर्जित व्यक्ति की उपलब्धियों की सूचना देता है फारसी में इस भाव को याप्ति खाने कहते हैं| यह भाव एक उपचय स्थान भी है| इस भाव की दिशा आग्नेय(South-East) है|

भाव के रूप में एकादश स्थान को शुभ माना गया है| यह हमारे जीवन में वृद्धि का सूचक है| वैसे भी हिन्दू धर्म में 11 के अंक को शुभ व पवित्र माना जाता है| यही कारण है कि इस भाव में सभी ग्रह शुभ फलदायी माने गए हैं| मगर छठे भाव(रोग, शत्रु, चोट) से छठा होने के कारण के कारण इस भाव का स्वामी शारीरिक कष्ट भी प्रदान कर सकता है| इस भाव से आय, लाभ, वृद्धि, प्राप्ति, इच्छाओं की पूर्ति, बड़े भाई-बहन, पुत्रवधू या दामाद, चाचा, बुआ, मित्र, कामवासना, विशिष्ट सम्मान, कान, जांघ व कामवासना आदि का विचार किया जाता है| एकादश भाव चर लग्नों(1, 4, 7, 10) के लिए एक बाधक भाव भी माना जाता है। एकादश भाव में क्रूर(पाप) ग्रह विशेष शुभ फलदायी माने जाते हैं।


एकादश भाव से निम्नलिखित विषयों का विचार किया जाता है- 
आय या लाभ- एकादश भाव व्यक्ति को मिलने वाले लाभ या उसकी आय का सूचक है| इस भाव में जिस भाव का स्वामी आकर बैठता है, उस भाव से प्राप्त होने वाली वस्तु की प्राप्ति व्यक्ति को होती है-
यदि इस भाव में सूर्य हो तो व्यक्ति को राज्य व मान-सम्मान की प्राप्ति होती है|
यदि इस भाव में चन्द्र हो तो व्यक्ति को तरल पदार्थ, समुद्र, मोती, कृषि, जल आदि से लाभ होता है|

यदि मंगल इस भाव में हो तो व्यक्ति को साहस, निडरता, यंत्र, भूमि, अग्नि संबंधी कार्यों से लाभ मिलता है|
यदि बुध इस भाव में हो तो व्यक्ति को शिक्षण, लेखन व वाणी के द्वारा लाभ मिलता है|
यदि गुरु इस भाव में हो तो व्यक्ति को ज्ञान, साहित्य व धार्मिक गतिविधियों से लाभ प्राप्त होता है|
यदि शुक्र इस भाव में हो तो व्यक्ति को नाटक, नृत्य, संगीत, कला, सिनेमा, आभूषण आदि से लाभ मिलता है|
यदि शनि इस भाव में हो तो व्यक्ति को श्रम, कारखाने, कृषि, राजनीति, सन्यास व गूढ़ विद्याओं से लाभ मिलता है|
यदि, राहु-केतु इस भाव में हो तो सट्टे, लॉटरी, शेयर बाजार, तंत्र-मंत्र, गूढ़ ज्ञान आदि से लाभ मिलता है|
2. प्राप्ति- एकादश भाव का संबंध प्राप्ति से है इसलिए किसी भी प्रकार की प्राप्ति का विचार इस भाव से किया जाता है|
3. कीर्ति- दशम स्थान कर्म है और एकादश भाव दशम(कर्म) से द्वितीय(आय) है इसलिए यह व्यक्ति को मिलने वाली कीर्ति, यश व मान-सम्मान का प्रतीक है|
4. बाहुल्य – एकादश भाव बहुलतासे भी संबंधित है। जिस भाव का स्वामी एकादश भाव में हो तो वह भाव तथा उसके स्वामी से संबंधित कारकत्वों में वृद्धि होती है, जैसे यदि पंचम भाव का स्वामी एकादश में हो तो मनुष्य की कई संताने होती हैं| इसी प्रकार द्वितीय भाव का स्वामी एकादश स्थान में हो तो मनुष्य के पास काफी रूपया-पैसा होता है|
5. ज्येष्ठ भाई-बहन– एकादश स्थान से बड़े भाई-बहन का विचार भी किया जाता है। इस भाव पर शुभ या अशुभ ग्रहों का जैसा भी प्रभाव हो वैसे ही संबंध व्यक्ति के अपने बड़े भाई-बहन से होते हैं|
6. शारीरिक कष्ट– एकादश भाव छठे भाव से छठा होने के कारण रोग को भी सूचित करता है। एकादश भाव के स्वामी की दशा-अंतर्दशा में मनुष्य को शारीरिक कष्ट हो सकता है|
7. मित्र– मित्रों का विचार भी एकादश भाव से किया जाता है| व्यक्ति के मित्र किस प्रकार के होंगे तथा उनसे मनुष्य के संबंध कैसे रहेंगे आदि की जानकारी भी इसी भाव से प्राप्त होती है|
8. बाधक स्थान– मेष, कर्क, तुला व मकर लग्नों (इन्हें चर लग्न भी कहते हैं।) के लिए एकादश भाव का स्वामी बाधकाधिपति होता है। अतः इन चर लग्नों में एकादशेश की दशा-अंतर्दशा में मनुष्य को बाधाओं व व्यवधानों का सामना करना पड़ सकता है|
9. कामवासना– तृतीय, सप्तम तथा एकादश स्थान काम त्रिकोण माने जाते हैं अतः मनुष्य की कामवासना का विचार भी इस भाव से किया जाता है।
10. आर्थिक स्थिति– द्वितीय भाव के साथ-साथ एकादश स्थान का भी मनुष्य की आर्थिक स्थिति से घनिष्ठ संबंध है। जब भी किसी जन्मकुंडली में द्वितीय भाव के साथ-साथ एकादश भाव मजबूत स्थिति में होता है तो व्यक्ति धनवान, यशस्वी तथा अनेक प्रकार की भौतिक सुख- सुविधाओं को भोगने वाला होता है।
11. शारीरिक अंग– एकादश भाव मनुष्य की बाई भुजा, बांया कान तथा पैरों की पिंडलियों को दर्शाता है। जब भी इस भाव पर तथा इसके स्वामी पर पाप ग्रहों का प्रभाव होता है तो मनुष्य के बांये कान, बाई भुजा व पैर की पिंडलियों में कष्ट होता है।