सिंह लग्न में जन्मे जातक अनुशासन प्रिय होते हैं तथा इनमें आत्मविश्वास कूट कूट कर भरा होता है। ये न्याय प्रिय, शांति प्रिय, प्रसन्नचित एवं आध्यात्मिक प्रवृत्ति वाले होते हैं। ऐसे जातक मध्यस्थता का कार्य करने में निपुण, सत्य वचन कहने वाले, दार्शनिक सुधारवादी एवं तीक्ष्ण बुद्धि से युक्त, लोकप्रिय, स्त्री वर्ग एवं संगीत कला प्रेमी, बच्चों का विशेष स्नेही, प्रतिष्ठित एवं अच्छे से अच्छा कलाकार तक होता है। ऐसे जातक जीवन को परिस्थितियों के अनुरूप ढालने की क्षमता रखते हैं। अपने उच्चाधिकारियों के प्रति ये सदैव कृतज्ञ बने रहते हैं। इनमें शासन करने की अद्भुत क्षमता होती है, किन्तु सफल तथा संतुष्ट हो जाने पर ये प्रायः आलसी हो जाते हैं, पर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति में आजीवन लगे रहते हैं। इनका भाग्योदय 24, 25, 32, 33 और 35 वें वर्ष में होता है। सिंह राशि में जन्में जातकों का शारीरिक गठन मजबूत तथा शरीर लम्बा एवं छरहरा होता है।
प्रायः इन्हें गुस्सा कम ही आता है, किन्तु एक बार आक्रोश में भर जाएं तो शान्त भी कठिनाई से होते हैं और शत्रु का अंत तक कर डालते हैं। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कैसे रखा जाता है, कोई इनसे सीखे। ये सच्चे प्रेम में विश्वास करते हैं। धर्म के मामले में इनके विचार कट्टर होकर कुछ नरम होते हैं। यूं इनका स्वभाव गंभीर होता है, किन्तु व्यंग्यात्मक बातें करना इनकी आदत होती है। प्रेम व मित्रता इनकी मेष, मिथुन और कुम्भ राशि वाले से खूब जमती है।
ऐसे जातकों के यहां प्रायः एक ही पुत्र होता है। अपवाद रूप में या ग्रह स्थितिवश अधिक भी हो सकते हैं, यहां चूंकि हम राशि विशेष के फल की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। जो कि कुलदीपक होता है और पिता की प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाता है।
सिंह लग्न के जातकों को गुप्त रोग, गुर्दा रोग, मूत्राशय एवं कमर सम्बंधित रोगों व विकारों से ग्रस्त होने की सम्भावना बलवती रहती है। सिंह लग्न के जातकों के लिए शनि, बुध एवं शुक्र ग्रह शुभ फलदायक एवं मंगल व बृहस्पति अशुभ फलदायक ग्रह माने गए हैं।
सिंह लग्न के जातक सिद्धांतवादी होते हैं तथा अपने सिद्धांतों के प्रति सदैव सजग रहते हैं. धार्मिक प्रवृत्ति होने के साथ साथ परोपकारी एवं दयालु होते है.किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता में आप अक्सर सफल ही रहते हैं . सरकारी या गैर सरकारी उच्च पदों पर आसीन अधिकारी अधिकांशतः सिंह लग्न के या सूर्य के प्रभाव में होते है. सामाजिक मान प्रतिष्ठा या यश सदैव हे आपके साथ रहता है. नेतृत्व की क्षमता भी सिंह लग्न के जातकों में कूट कूट कर भरी रहती है.
ऐसे जातक जीवन को परिस्थितियों के अनुरूप ढालने को तथा परिस्थितियों को स्वानुरूप करने की अदभुत क्षमता रखते हैं। अपने उच्चाधिकारियों के प्रति ये सदैव कृतज्ञ बने रहते हैं। ऐसे जातक अनुशासनप्रिय होते हैं। तथा इनमें आत्मविश्वास कुछ अधिक ही देखने को मिलता है। ये सच्चे प्रेम में विश्वास रखते हैं। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कैसे रखा जा सकता है, कोई इनसे सीखे।इनमें शासन करने की अद्भुत क्षमता होती है, किन्तु सफल या संतुष्ट हो जाने पर ये प्रायः आलसी हो जाते हैं, पर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति में आजीवन लगे रहते हैं।
सिंह लग्न के जातकों का व्यक्तित्व आकर्षक होता है जो अन्य लोगों को प्रभावित करता है. आप स्वभाव से निर्भय होते है एवं जीवन में सभी महतवपूर्ण कार्यों को सफलता पूर्वक करते हुए निरंतर आगे बढ़ते हैं. शत्रु या प्रतिद्वंदी आपसे भयभीत रहते हैं. यदि आप दूसरों के साथ भी समानता का व्यवहार करें तो निश्चित रूप से आपकी लोकप्रियता एवं सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी.
सिंह लग्न के जातकों में शारीरिक बल की प्रधानता अधिक रहती है. आप स्वभाव से तेजस्वी , गंभीर एवं निरंतर उन्नत्तिशील होते हैं.
धर्म के मामले में आपके विचार कट्टर न होकर कुछ नरम रहते हैं। धर्म के प्रति आप श्रद्धावान होते हैं . जीवन में यदा कदा धार्मिक अनुष्ठानों को भी संपन्न करते हैं. योग साधना एवं सत्संग में भी आप पूर्ण रूचि रखते हैं. पहाड़ी इलाकों में भ्रमण करना आपको प्रिय है .
शुभ ग्रह : सूर्य लग्नेश और मंगल भाग्येश और सुखेश बनकर अति शुभ होते हैं। इनकी दशा महादशा उन्नतिकारक होती है अत: कुंडली में इनकी स्थिति ठीक न होने पर रत्न, जप-दान आदि करना चाहिए।
अशुभ ग्रह : बुध, शुक्र और शनि इस लग्न के लिए अशुभ सिद्ध होते हैं। विशेषत: शनि छठे व सातवें भाव का स्वामी होकर अति अशुभ हो जाता है जो मारकेश बन सकता है। अत: उचित उपाय करके इन्हें शांत रखना चाहिए। इस लग्न के व्यक्तियों को मद्यपान और मांसाहार से बचना चाहिए।
तटस्थ ग्रह : चंद्रमा और गुरु इस लग्न के लिए तटस्थ (निष्क्रिय) ग्रहों का काम करते हैं।
इष्ट देव : सूर्य, गायत्री
शुभ रत्न : माणिक, मूँगा
रंग : सुनहरा, सफेद, लाल
तारीख व वार : 5, 9, 1, रविवार, मंगलवार
प्रायः इन्हें गुस्सा कम ही आता है, किन्तु एक बार आक्रोश में भर जाएं तो शान्त भी कठिनाई से होते हैं और शत्रु का अंत तक कर डालते हैं। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कैसे रखा जाता है, कोई इनसे सीखे। ये सच्चे प्रेम में विश्वास करते हैं। धर्म के मामले में इनके विचार कट्टर होकर कुछ नरम होते हैं। यूं इनका स्वभाव गंभीर होता है, किन्तु व्यंग्यात्मक बातें करना इनकी आदत होती है। प्रेम व मित्रता इनकी मेष, मिथुन और कुम्भ राशि वाले से खूब जमती है।
ऐसे जातकों के यहां प्रायः एक ही पुत्र होता है। अपवाद रूप में या ग्रह स्थितिवश अधिक भी हो सकते हैं, यहां चूंकि हम राशि विशेष के फल की जानकारी प्राप्त कर रहे हैं। जो कि कुलदीपक होता है और पिता की प्रतिष्ठा को आगे बढ़ाता है।
सिंह लग्न के जातकों को गुप्त रोग, गुर्दा रोग, मूत्राशय एवं कमर सम्बंधित रोगों व विकारों से ग्रस्त होने की सम्भावना बलवती रहती है। सिंह लग्न के जातकों के लिए शनि, बुध एवं शुक्र ग्रह शुभ फलदायक एवं मंगल व बृहस्पति अशुभ फलदायक ग्रह माने गए हैं।
सिंह लग्न के जातक सिद्धांतवादी होते हैं तथा अपने सिद्धांतों के प्रति सदैव सजग रहते हैं. धार्मिक प्रवृत्ति होने के साथ साथ परोपकारी एवं दयालु होते है.किसी भी प्रकार की प्रतियोगिता में आप अक्सर सफल ही रहते हैं . सरकारी या गैर सरकारी उच्च पदों पर आसीन अधिकारी अधिकांशतः सिंह लग्न के या सूर्य के प्रभाव में होते है. सामाजिक मान प्रतिष्ठा या यश सदैव हे आपके साथ रहता है. नेतृत्व की क्षमता भी सिंह लग्न के जातकों में कूट कूट कर भरी रहती है.
ऐसे जातक जीवन को परिस्थितियों के अनुरूप ढालने को तथा परिस्थितियों को स्वानुरूप करने की अदभुत क्षमता रखते हैं। अपने उच्चाधिकारियों के प्रति ये सदैव कृतज्ञ बने रहते हैं। ऐसे जातक अनुशासनप्रिय होते हैं। तथा इनमें आत्मविश्वास कुछ अधिक ही देखने को मिलता है। ये सच्चे प्रेम में विश्वास रखते हैं। अपनी भावनाओं पर नियंत्रण कैसे रखा जा सकता है, कोई इनसे सीखे।इनमें शासन करने की अद्भुत क्षमता होती है, किन्तु सफल या संतुष्ट हो जाने पर ये प्रायः आलसी हो जाते हैं, पर किसी विशेष उद्देश्य की पूर्ति में आजीवन लगे रहते हैं।
सिंह लग्न के जातकों का व्यक्तित्व आकर्षक होता है जो अन्य लोगों को प्रभावित करता है. आप स्वभाव से निर्भय होते है एवं जीवन में सभी महतवपूर्ण कार्यों को सफलता पूर्वक करते हुए निरंतर आगे बढ़ते हैं. शत्रु या प्रतिद्वंदी आपसे भयभीत रहते हैं. यदि आप दूसरों के साथ भी समानता का व्यवहार करें तो निश्चित रूप से आपकी लोकप्रियता एवं सम्मान में बढ़ोत्तरी होगी.
सिंह लग्न के जातकों में शारीरिक बल की प्रधानता अधिक रहती है. आप स्वभाव से तेजस्वी , गंभीर एवं निरंतर उन्नत्तिशील होते हैं.
धर्म के मामले में आपके विचार कट्टर न होकर कुछ नरम रहते हैं। धर्म के प्रति आप श्रद्धावान होते हैं . जीवन में यदा कदा धार्मिक अनुष्ठानों को भी संपन्न करते हैं. योग साधना एवं सत्संग में भी आप पूर्ण रूचि रखते हैं. पहाड़ी इलाकों में भ्रमण करना आपको प्रिय है .
शुभ ग्रह : सूर्य लग्नेश और मंगल भाग्येश और सुखेश बनकर अति शुभ होते हैं। इनकी दशा महादशा उन्नतिकारक होती है अत: कुंडली में इनकी स्थिति ठीक न होने पर रत्न, जप-दान आदि करना चाहिए।
अशुभ ग्रह : बुध, शुक्र और शनि इस लग्न के लिए अशुभ सिद्ध होते हैं। विशेषत: शनि छठे व सातवें भाव का स्वामी होकर अति अशुभ हो जाता है जो मारकेश बन सकता है। अत: उचित उपाय करके इन्हें शांत रखना चाहिए। इस लग्न के व्यक्तियों को मद्यपान और मांसाहार से बचना चाहिए।
तटस्थ ग्रह : चंद्रमा और गुरु इस लग्न के लिए तटस्थ (निष्क्रिय) ग्रहों का काम करते हैं।
इष्ट देव : सूर्य, गायत्री
शुभ रत्न : माणिक, मूँगा
रंग : सुनहरा, सफेद, लाल
तारीख व वार : 5, 9, 1, रविवार, मंगलवार