Friday 15 February 2019

षष्ठ भाव का महत्व और विशेषताएँ


छठे भाव से आजीविका का विचार :- छठा भाव त्रिक भावों में से एक भाव है. 6,8 व 12 वें भाव को त्रिक भावों के नाम से जाना जाता है। तथा त्रिक भावों को शुभ भाव नहीं कहा जाता है। इन भावों का संबन्ध जिन भी ग्रहों व भावेशों से बनता है उनकी शुभता में कमी आती है
छठे भाव को रोग भाव, ऋण व सेवा भाव के नाम से भी जाना जाता है
। व्यक्ति के शत्रु भी इसी भाव से देखे जाते है. यह भाव उपचय भावों में भी शामिल किया गया है। इसके अलावा छठा भाव अर्थ भाव ( दूसरा, छठा व दशम भाव) भी है. इस भाव पर गुरु की दृ्ष्टि व्यक्ति को जीवन में अर्थ की कमी नहीं होने देती, इस प्रकार इस भाव की भूमिका को आजीविका के क्षेत्र में कम नहीं समझना चाहिए

 
एक अन्य मत के अनुसार इस भाव से एसे सभी कार्य जो अधिक मेहनत से पूरे होते है, कर्मचारी, सेवक आदि का विचार इस भाव से करना चाहिए
। इस भाव में शुभ ग्रहों का एक साथ स्थित होना, व्यक्ति को सेवा कार्यो में सदभाव व स्नेह का भाव देता है
ऋण भाव इसके विपरीत यह ऋण का भाव भी है
। आजीविका के कार्यो को पूर्ण करने के लिये तथा इसका विस्तार करने के लिये ऋण लेने की स्थिति आती ही रहती है। किसी व्यक्ति के लिये ऋण लेना सरल होगा या नहीं, इसका विचार करने के लिये इस भाव में अगर शुभ ग्रह स्थित हों तो ऋण लेने में बाधाएं आती है. अन्यथा यह सरलता से प्राप्त हो जाता है
इस भाव के स्वामी का अशुभ प्रभाव में होने पर व्यक्ति के रोग ग्रस्त होने की संभावनाएं बढ जाती है
। इस भाव पर अशुभ ग्रहों का प्रभाव व्यक्ति को बिमारियां शीघ्र होने की संभावनाएं बनाता है

 
षष्ट भाव में अशुभ ग्रह :- जब कुण्डली के छठे भाव में अशुभ ग्रह स्थित हों तो व्यक्ति की आजीविका में बाधाएं देते है
। इस योग के फलों को देखते समय इन अशुभ ग्रहों पर शुभ ग्रहों का प्रभाव नहीं होना चाहिए। इस भाव में चन्द्र या शुक्र की स्थिति होने पर व्यक्ति अस्पताल या होटल से संबन्धित क्षेत्रों में आजीविका प्राप्त कर सफल हो रहा होता है।


यह भाव अस्पताल का भाव है :- सूर्य या राहू अशुभ ग्रह होकर व्यक्ति को चिकित्सक बनने की योग्यताएं देते है
। चिकित्सा भाव से जुडे के लिये व्यक्ति की कुंडली में चन्द्र का नीच राशि में होना इस योग में वृ्द्धि करता है। छठे भाव से मंगल का संबन्ध व्यक्ति को सेना या पुलिस के क्षेत्र में काम करने के अवसर देता है। इस भाव से जब शनि का संबन्ध बनता है। तो व्यक्ति को न्याय के क्षेत्र में सफलता मिलने की संभावनाएं रहती है
 

छठे भाव की राशियां :- जब छठे भाव में हिंसक राशियां अर्थात (1,2,8,11 वीं राशि ) हों, तथा इस भाव में एक से अधिक पाप ग्रह एक-दूसरे से निकटतम अंशों पर स्थित हों तो व्यक्ति को नौकरी से निकाले जाने का योग बनता है। इस प्रकार बनने वाले अन्य योग केतु व शनि निकटतम अंशों के साथ छठे भाव में स्थित हों तो भी उपरोक्त योग बनता है। एक अन्य मत के अनुसार इस भाव में मंगल, शनि, राहू व केतु आजीविका क्षेत्र में परेशानियां देते है। इस भाव में चन्द्र व्यक्ति के मन को कठोर बनाता है। अर्थात इस भाव में चन्द्र होने पर व्यक्ति शीघ्र विचलित नहीं होता है। फिर भी चन्द्र की शुभता देखने के लिये उसका पक्ष बल भी अवश्य देख लेना चाहिए

 
छठे भाव में पीडित मंगल :- जब कुण्डली में मंगल पीडित होकर स्थित हों तथा लग्न भाव में अपनी राशि से दृष्टि संबन्ध बना रहे हों, तो व्यक्ति पुलिस विभाग में या अन्य किसी विभाग में अनितिपूर्ण तरीके से धन कमाने का प्रयास करता है, अष्टम का मंगल तीसरे भाव में अपनी राशि को देखे उसे बली कर रहा हों तब भी व्यक्ति के पुलिस विभाग में गलत तरीके से धन प्राप्त करने के योग बनते है
। इस भाव में मंगल व चन्द्र का सम्बन्ध व्यक्ति के सर्जन बनने की योग्यता देता है। 

 

वकालत के क्षेत्र में सफलता के योग :- जब कुण्डली में छठा भाव, तीसरा भाव व नवम भाव बली हो तथा इन भावों से मंगल व शनि का संबन्ध होने पर व्यक्ति अपने पराक्रम के बल पर कानून के क्षेत्र में सफलता प्राप्त करता है। इस भाव में शनि बली अवस्था में हों तो व्यक्ति को व्यापार के स्थान पर नौकरी करना अधिक पसन्द होता है। शनि नौकरी या सेवा के कारक ग्रह है। वे जब कुण्डली में सुस्थिर होकर स्थित हों तो व्यक्ति अपने सभी काम स्वयं करना पसन्द करता है