आज हम सौरमंडल के सबसे चमकीले "शुक्र ग्रह" के बारे में जानेंगे, इसका क्या प्रभाव रहता है जातक के जीवन में |
जब कुण्डली में शुभ अवस्था में हों तो :- ऎसे जातक को बचपन से ही ब्रांडेड, यूनिक या लक्ज़री वस्तुएं प्राप्त करने को मिलती हैं | बुद्धि और चतुराई इनमें कूट कूट कर भरी होती है | ऎसे जातक सदैव वर्तमान में जीते हैं, आकर्षक दिखना, पहनावा व वस्तुओं का प्रयोग भी बखूबी करते हैं | ऎसे जाताकों का आर्थिक स्तर का आंकलन करना मुश्किल होता है, क्यूंकी वे महंगे प्रसाधन का उपयोग करते हैं, चाहे घर की आर्थिक स्थिति कमजोर ही क्यों न हो | शीशे के आगे खड़े होकर खुद को सवारना व आकर्षक दिखना ही इन्हें प्रसन्नचित्त करता है | 24 घंटों में 50 बार आईना देखना, एक दिन में 6 बार कपड़े बदलना, खुश्बूदार इत्र का प्रयोग करना, सौन्दर्य संसाधनओं का प्रयोग करना ( स्त्री संसाधन का भी प्रयोग करते हुए देखे जा सकते हैं ), सुव्यवस्थित कपड़े, घर व सामान, शरीर में संतुलित ऊर्जा का पूर्ण प्रवाह, विपरीत लिंग को अपनी ओर आकर्षित करना, अपनी गर्लफ्रेंड को खुश करना, ऎसे जातकों को बखूबी आता है | ऎसे जातक अपनी वास्तविक आयु से छोटा प्रतीत होता है और अपने जीवनकाल में सभी प्रकार की वस्तुओं का भोग करते हैं ( ब्रांडेड शराब, वाइन, सिगरेट आदि का प्रयोग भी करते हैं, किन्तु इसके आदी नहीं बनते ), नक्काशी वाले पत्थर, जेवर, हीरा, फ़ैशन डिज़ाइनिंग, कॉस्मेटिक सामान, इत्र पर्फ्यूम, मिट्टी खाद, ब्रांडेड फैशनेबल कपड़े, 25 - 27 वर्ष में विदेश यात्रा एवं भाग्योदय शुभ शुक्र का संकेत है | ऎसे जातक सभी विषय का ज्ञान रखते हैं ( पूरा ज्ञान नहीं ), ये पुराने रीति रिवाज को नहीं अपनाते ( असंस्कारी कहना गलत होगा ), परिवार में स्त्रियों को पूर्ण मान सम्मान मिलता है, गृह स्थान पर काली अथवा जर्सी गाय को पालना या सेवा करना भी शुक्र के शुभ होने के लक्षण हैं |
जब अशुभ अवस्था में हों तो :- जन्म के समय से ही घर पर अव्यवस्था फैल जाती है, दायीं आंख का कमजोर होना, स्नान न करना, साफ सफाई न करना, विपरीत लिंग के प्रति नीच अथवा बुरी सोच रखना, स्त्रियों को कष्ट देना उनकी निंदा करना, चौपाई जानवर विशेषकर काली गाय का मरना, मरवाना या खोना, हाथ के अंगूठे का सुन्न या नकारा होना, शरीर में ऊर्जा की कमी, नशे का आदी होना, बुरी बातों को अधिक सोचना, कटाक्ष लेखन करना, गन्दगी में रहना, स्त्री अथवा जीवनसाथी की हत्या करना, रूढ़ीवादी सोच रखना, गुप्त रोग होना, नाक में किसी प्रकार का रोग होना, किसी भी प्रकार के बदलाव से घृणा करना, ऎसे परिवार में स्त्रिओं की हालत मंदी होती है, धन - एश्वर्य का सुख न मिलना, अशुभ शुक्र के लक्षण हैं | जिसे उपाय द्वारा जातक को ठीक कर लेना चाहिए |
उपाय :- वर्ष में एक बार अपने वजन के बराबर हरा चारा गाय को दें | अपना चरित्र उत्तम बनाये रखें | नित्य स्नान करें व साफ सुथरे कपड़े प्रैस करके पहने | इत्र का प्रयोग करें | साफ सफाई रखें, स्त्रिओं को सम्मान दें, माँ लक्ष्मी की अराधना करें, मिट्टी के लोटे में दही रखकर उसमें मक्खन डालकर धर्मस्थान में दें | बड़ी इलायची को उबालकर उसके पानी को स्नान के पानी में मिलाकर स्नान करें और ॐ शुक्रवे नमः का जाप करें |
25 - 27 वर्ष की आयु में विवाह न करें | गौ दान करने से अशुभ प्रभाव में कमी आएगी | किसी भी प्रकार के नशे से दूर रहें | मिट्टी, गाय, कपड़े, जेवर आदि का व्यापार न करें |
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