Monday, 14 May 2018

केतु ग्रह

                      

आज का विषय छाया ग्रह 'केतु' पर अधारित है | इस संसार में सभी जीवों की संतान ( बच्चे ), जो इस धरती पर सबसे खूबसूरत हैं, केतु ग्रह को इंगित करते हैं | गुरु की शुभ अशुभता के अनुसार ही केतु की शुभ अशुभता निर्भर करती है | क्या प्रभाव रहता है जातक के जीवन पर इस छाया ग्रह का, आइए जानते हैं | 

जब शुभ अवस्था में हो तो  :-   ऎसा जातक बाल्यकाल से ही स्फूर्तिमान होता है, हर कार्य को पहले ख़त्म करने की कोशिश करता है, छोटी उम्र से ही पिता की सहायता  करना व घर की जिम्मेदारी उठाना इनको प्रिय होता है, स्वयं धनोपार्जन करना, किसी से आर्थिक सहायता न लेना, मित्रों की संगत व उनके साथ भ्रमण, एय्याश, खुले विचारों वाला, जल्दी तरक्की करने वाला, अधिक भ्रमण का शौकीन, संतान से उत्तम सुख प्राप्त करने वाला, पोता दोहता-पुत्र - भांजा देख कर जाने वाला, मामा परिवार की स्थिति, रोग - ऋण - रिपू ( शत्रुओं ) से बचाव, सभी प्रकार के द्रव्यों का उपभोग करने वाला, सभी तरह की सवारी करने वाला, बड़ी भोये और कान, बलिष्ठ शरीर, मजबूत जोड़, पुजारी, खोजी प्रवर्ती ( विशेषकर भूमि के नीचे अथवा दबी हुई वस्तुओं की खोजबीन ), हरफ़नमौला, घर पर ध्वजा फहराना, गूढ़ रहस्य व ज्ञान की प्राप्ति, अंतिम समय तक साथ देने वाला, सलाहकार व परामर्शदाता, 18-36-48-56 वर्ष जीवन के भाग्योदय सूचक, संस्कारी, ग्रंथों को पढ़ने व अध्ययन करने वाला, पदोन्नति करने वाला, अशुभ घटनाओं को पहले ही भांप लेने वाला अथवा महसूस कर लेने वाला, अपनी मृत्यु को पहले ही ज्ञात कर लेने वाला, कफन दान करने वाला, यह सभी शुभ केतु के गुण दर्शाते हैं | 


अशुभ होने की स्थिति में :-  जातक  को  बाल्यकाल से ही सूखा रोग लग जाता है, शरीर के साथ साथ चेहरा व नेत्र भी पीले प्रतीत होते हैं, जातक कमजोर, सन्‌की प्रवर्ती का होता है, उसे कई बार भूत प्रेत बाधा का भी सामना करना पड़ता है, पेट के रोग, मूत्र रोग, कमर टाँग के रोग, गठिया रोग, पित्त रोग, पत्थरी के रोग, संतान का नष्ट होना या ऑपरेशन द्वारा होना, अवन्नति को प्राप्त होने वाला, संतान द्वारा कष्ट, मामा परिवार में अशुभ घटनाओं का घटना, वफादार जानवरों को कष्ट देना, उन्हे मारना अथवा मरवाना, ग्रंथों का अपमान करना, हाथ पेरों में कंपन्न होना, जोड़ों व रीढ़ की हड्डी का कमजोर होना अथवा टूटना,फलरहित यात्रा व यात्रा द्वारा कष्ट मिलना, दुर्घटना घटित होना, घर पर स्त्रियों द्वारा क्लेश होना, पाप कर्म करना, तंत्र मंत्र मे रूचि लेने वाला व उससे किसी का अहित करना, स्वप्नों मे सूखा, खण्डहर, श्मशान, कब्रिस्तान, मुर्दे से बात करते देखना | शास्त्र के अनुसार, यदि किसी जातक को अपने जीवन काल में, श्वान (  कुत्तों ) द्वारा 3 या उससे अधिक बार काटा हो तो कुण्डली में केतु की स्थिति को अशुभ जानना चाहिए |

उपाय  :-  जातक को पैर, कमर व मूत्र रोग होने की स्थिति में, अपने दोनों पैरों के अंगूठों पर चांदी का छल्ला अथवा तार डाले | कुत्ते की सेवा करें उसे कुछ न कुछ खाने को दें, घर पर गोटा किनारे वाला ध्वज लगाए, गुरु की सेवा करें उनसे अशीर्वाद प्राप्त करें, भगवान श्री गणेश जी की आराधना करें, नियम धर्म का पालन करें, ग्रन्थों का अध्ययन करें | किसी भी यात्रा पर जाने से पहले गुरु अथवा किसी बुजुर्ग से आशीर्वाद लें |
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