Thursday, 17 May 2018

चन्द्र ग्रह

              

आज का विषय चन्द्र ग्रह पर आधारित है, इसे माता का दर्जा प्राप्त है | जिस प्रकार माँ रात्रि के समय स्वयं उठकर अपनी संतान को लोरी सुनाकर सुलाती है, उसी प्रकार चन्द्र भी रात्रि के समय अपनी संतानों के लिए प्रकाश कर उन्हें भयहीन निद्रा प्रदान करता है | क्या असर होता है इसका प्रत्येक व्यक्ति के जीवन पर,..

शुभ अवस्था में हों तो  :-  जातक को अपने जीवनकाल माता दादी मौसी का पूर्ण सुख व लाभ प्राप्त होता है, शीतल, सौम्य, संस्कारी, धार्मिक प्रवर्ति, शांतिप्रिय, उत्तम ध्यान क्षमता, किसी भी परिस्थिति में ढल जाने वाला, जबान व वचन का पक्का, मन - हृदय - घर पर सुख शांति, विवाहित स्त्री या धनी स्त्री अथवा दोनों का आश्रय प्राप्त करने वाला व उनका प्रिय, 24 वा वर्ष शुभ, विवाह के पश्चात भाग्योदय, बच्चों के साथ बच्चा व बूढ़ों के साथ बूढ़ा बन जाने वाला, मातृ भाषा में उत्तम ज्ञान, आर्थिक स्थिति व जीवन सामान्य, विश्वासपात्र, अधिक किसी से मतलब न रखने वाला, ज्ञानवान, सादगी में भी सम्मोहित कर देने वाला अथवा वाली, ऎसी स्त्रियाँ अथवा महिला की सुन्दरता देखते ही बनती है ( बगैर कोई सौंदर्य प्रसाधन इस्तेमाल किए ), सबको समान रूप से देखने वाला, अपने जन्मस्थान अथवा जन्म स्थल (  जिस मकान में जनम हुआ हो या नामकरण हुआ हो )में निवास करने वाला , दूध व उससे निर्मित उत्पादों को प्रिय मानने वाला तथा उपभोग करने वाला , घर पर चन्द्र की वस्तुओं की कमी न होना ( दूध, चावल, जल, कपास, मोती ), दुधारू पशु को पालना उसकी सेवा करना, पशु पालने में अधिक रूचि लेने वाला, मकान व वाहन आदि का सुख प्राप्त होना, मन व हृदय से स्वस्थ, सुंदर और मजबूत | स्थिर बुद्धि का स्वामी, सभी इन्द्रियों को अपने वश में रखने वाला, बहुत विचार कर निर्णय लेने वाला, शुभ चन्द्र का जातक कहलाता है |

अशुभ होने की अवस्था में  :-  जातक को माता-मौसी-दादी का सुख प्राप्त नहीं होता या इनके द्वारा कष्ट भोगना पड़ता है, ऎसा जातक छोटी छोटी बातों पर गुस्सा करने वाला होता है, मन व हृदय में अधिकतर अशान्ति रहती है, अपने घर अथवा जन्‍म स्थान से दूर रहने वाला, विधवा स्त्रियों को नीच दृष्टि से देखने वाला व कष्ट पहुंचाने वाला, बांयी आँख का खराब होना अथवा व्याधि होना, विवाह के बाद व्यवहार में तुरंत परिवर्तन आना, हर सुख के तुरंत बाद दुख आना (  उदहारण :- कोई ख़ुशी के अवसर पर मनहूस खबर का सुनना या दुखद घटना का घटित होना ), माता का अपमान करना, दूसरों की बात को ना सुनकर अपनी रट लगाना, दूध को जलाना - फाड़ना अथवा बर्बाद करना, दुधारू पशुओं को मारना या कष्ट पहुँचाना, स्त्रियों में रजस्व का अनियमित होना, माता व नवजात शिशु को कष्ट होना, मानसिक व्याधियों का होना, संतान उत्पन्न करने की शक्ति कम अथवा खत्म होना, 24 वा वर्ष दुर्भाग्यपूर्ण होना, मन व हृदय का कमजोर होना या डरपोक, अपनी इन्द्रियों को काबू न कर पाने वाला, ध्यान की कमी अथवा चंचल स्वभाव, नीच कर्म करने वाला, तालाब-कुआँ का सूख जाना, जल में डूबने से मृत्यु होना, महसूस करने की शक्ति खत्म हो जाए | यह सभी अशुभ व पीड़ित चंद्र के प्रभाव हैं | स्त्री जातक पर अशुभ चन्द्र का प्रभाव पुरुष जातक की अपेक्षा ज्यादा रहता है, माता पिता के खिलाफ जाना, उन्हें दुख पहुँचाना इसका प्रमुख कारण है |

उपाय  :-  शिव की पूजा करें,  शिवलिंग पर कच्चा दूध चढ़ाएं, माता अथवा विधवा स्त्री की सेवा करें, किसी भी सोमवार को सफेद कपड़े में 400 ग्राम मिश्री बाँधकर जल प्रवाह करें,रात्रि में सिरहाने जल रख कर सोएं और सुबह कीकर ( बबूल ) की जड़ में डालें | माता-पुत्र को कष्ट की स्थिति में एक सफेद खरगोश पालें (  खरगोश के मरने व खोने की स्थिति में 24 घंटे के अंदर दूसरा ले आएं ) | अपने जीवन में एक बार किसी भी श्मशान में एक मन अथवा 8 कुंतल लकड़ी दान करें | हर सुख के बाद दुख मिलने की स्थिति में, 1200 ग्राम चावल दूध से धोकर जल प्रवाह करें | 24 वे वर्ष में विवाह न करें अन्यथा जीवनभर आंसू व दुख भोगने पड़ेंगे ( विशेषकर स्त्री जातक ) | इन सभी उपायों से उत्तम लाभ की प्राप्ति होगी, और भगवान शिव की कृपा दृष्टि आप पर बनी रहेगी |
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