Thursday, 26 April 2018

ज्योतिष या भ्रम - 2

                  

इस लेख के माध्यम से ज्योतिष क्या है और क्या ज्योतिष नहीं है, इन बातों को उद्धत करना चाहेंगे. आपने अकसर देखा होगा कि समाज में कुछ ठोगी किस्म के ज्योतिषी अपनी चतुराई से किस प्रकार भोले - भाले लोगों को ठगते हैं. जिन बातों का दूर दूर तक भी सम्बन्ध नहीं उन्हें ज्योतिष से जोडकर अपनी दुकान चलाते हैं. आप लोगो को सचेत करने के लिए तथा ज्ञान की दृष्टि से यहाँ पर मैं उन बातो का उदाहरण सहित उल्लेख करना चाहूँगा जिससे कि आप सत्य और मिथ्या में अन्तर कर सकें.

उदाहरण न. 1.
बाजार से गुजरते वक्त कभी-कभी कोइ ज्योतिषी महाशय पिंजरे में बन्द एक तोते के साथ सड्क पर आसन लगाए नजर आ जाते हैं. उनके पास बन्द लिफाफो में कुछ कार्ड रखे होते हैं. अब जैसे ही कोइ व्यक्ति उनके पास प्रश्न पूछने के लिए आता है तो वो ज्योतिषी महाराज पिंजरे का मुंह खोल देते हैं जिससे कि तोता पिंजरे से बाहर आकर उन लिफाफो में से एक कार्ड अलग करके वापस पिंजरे में चला जाता है. अब वह ज्योतिषी उस कार्ड पर लिखे हुए को पढ्ता है तथा प्रश्नकर्ता को बताता है कि उसके भाग्य में ये सब लिखा है. मान लो प्रश्नकर्ता दोबारा से अपना भाग्य जानना चाहे, तो ज्योतिषी फिर से उसी पहले वाली प्रक्रिया को दोहरायेगा. लेकिन इस बार दूसरा कार्ड हाथ में होगा जिसका फलादेश पहले वाले कार्ड से भिन्न होगा. इसी प्रकार जितनी बार प्रश्न किया जायेगा, उतनी ही बार उस व्यक्ति का भाग्य बदल जायेगा. कभी अच्छा भाग्य होगा तो कभी बुरा. ज्योतिष के नाम पर ये ढोगी मनुष्यो की भावनाओ के साथ खिलवाड् करते है. इसका सबसे अधिक बुरा प्रभाव ज्योतिष विद्या पर पड्ता है तथा जिन लोगो का इस विद्या पर विश्वास नहीं है, वो अपने आप को सही सिद्ध करने के लिए ऎसे अवसरो की तलाश में रहते हैं. इस समस्या का सबसे अच्छा निदान यही है कि हम ऎसे ढोगी बाबाओ के पास न जाकर ठगे जाने से बचे.

उदाहरण न. 2.
आप जब भी यात्रा के लिए निकलते हैं तो आपने अकसर रेलवे स्टेशन या बस स्टाप पर वजन मापने वाली मशीन देखी होगी, जिसमें 1 या 2 रुपये का सिक्का डालने पर एक छोटे से कार्ड पर आपका वजन छपे हुए रुप में आ जाता है. कार्ड के दूसरी तरफ प्रायः आपका भविष्यफल छपा होता है. जो कि अमूमन अच्छा ही होता है. लेकिन यदि आप दोबारा अपना वजन तोलते हैं तो अलग तरह का भविष्यफल लिखा हुआ आऎगा अर्थात आप जितनी बार भी वजन तोलेगे उतनी ही बार अलग- अलग भविष्यफल आयेगा. यहाँ पर भी उदाहरण न.1 वाला नियम लागू होता है. यदि आप समय गुजारने के लिए (Time Pass) उस भविष्यफल को पढ्ते हैं तो कोइ बात नही क्योकि उसे संजीदगी से लेना व्यर्थ की कसरत होगी.

उदाहरण न. 3.
मेले या त्यौहार पर आपने किन्ही श्रीमान जी को एक एसी टिमटिमाती हुई मशीन के साथ देखा होगा, जो कम्पयूटर द्वारा आपका भविष्यफल बताती है. अर्थात कानों में ईयर-फोन लगाकर आप अपना भविष्य सुन सकते हैं. वह भविष्यफल कुछ भी हो सकता है, अब आधा घण्टा इधर-उधर घूमकर आप दोबारा से अपना भविष्य सुने, चमत्कारिक रुप से आधे घण्टे में ही आपका समय बदल जायेगा. यहाँ पर भी हम यही कहेंगे कि यह सब मनोरंजन की दृष्टि से तो ठीक है, इसे ज्योतिष मानने की भूल कदापि न करें.

उदाहरण न. 4.
आजकल टैराँट कार्ड (Tarrot Card) बहुत प्रचलन में हैं विशेषकर बडे शहरों में जैसे कि दिल्ली, मुम्बई इत्यादि. ज्यादा पढे-लिखे व समझदार लोग ही इस विद्या का प्रयोग करते हैं. टेरो कार्ड में ताश की तरह पत्ते होते हैं. जब कोई व्यक्ति टेरो एक्सपर्ट के पास अपना भविष्य पूछने जाता है तो टेरो एक्सपर्ट एक कार्ड निकालकर जिज्ञासु के स्वभाव इत्यादि को पढ्ता है, जोकि पुर्ण रुप से मनोविज्ञान होता है. यदि एक ज्योतिषी को मनोविज्ञान की जानकारी है तो ज्ञान की दृष्टि से उसके लिए लाभकारी है तथा मनोविज्ञान ज्योतिष से पहले की अवस्था है. परन्तु मनोविज्ञान को ही हम ज्योतिष नहीं मान सकते. अतः टैरो कार्ड एक जुए की तरह का मनोविज्ञान है, जिसे पढ कर आप प्रसन्न हो सकते हैं.

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