हर माता पिता का सपना होता है कि उनका बच्चा खूब पढ़े लिखे और बड़ा आदमी बने। अपने इस सपने को साकार करने के लिए माता पिता पूरी पूरी कोशिश करते हैं, लेकिन कई बार माता पिता को निराशा हाथ लगती है क्योंकि उनका बच्चा पढ़ने में मन नहीं लगाता है अथवा बच्चे विषयों को सही प्रकार से समझ नहीं पाते। ज्योतिषशास्त्री कहते हैं कि अगर मुहुर्त का विचार करके शिक्षा प्रारम्भ की जाए तो इस तरह की समस्या से काफी हद तक राहत मिल सकती है।
https://amzn.to/3fE2akV
हमारे ऋषि मुनियों ने गहन अध्ययन और शोधों से इस विषय का ज्ञान प्राप्त किया कि समय विशेष में यानी किसी विशेष मुहुर्त में जब कोई कार्य किया जाता है तब उसकी सफलता की संभावना बढ़ जाती है, अगर मुहुर्त सम्बन्धित विषय के प्रतिकूल हो तो परिणाम भी प्रतिकूल होता है। हम बात करें बच्चों की शिक्षा को लेकर तो शिक्षा के लिए मुहुर्त ज्ञात करते समय कई विषयों का अध्ययन किया जाना चाहिए और इससे प्राप्त शुभ मुहुर्त में शिक्षा का प्रारम्भ करना चाहिए।
आप बच्चों की पढ़ाई के लिए जब मुहुर्त का विचार करें उस समय किन किन विषयों का आपको ध्यान रखना चाहिए आइये इसे समझें।
1.समय/काल:
बच्चों की शिक्षा प्रारम्भ करने के लिए सूर्य का उत्तरायण में होना शुभ माना गया है। कुछ ज्योतिषशास्त्रियों का मानना है कि आषाढ शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक शुक्ल पक्ष की एकादशी तक को छोड़कर बच्चों की शिक्षा शुरू करने के लिए पूरा वर्ष ही उत्तम होता है। समय और काल का आंकलन करते समय इस बात का ध्यान रखें कि बृहस्पति एवं शुक्र अस्त नहीं हों।
2.तिथि:
द्वितीया/तृतीय/पंचमी/षष्टी/दसमी/एकादशी और द्वादशी तिथि शिक्षा प्रारम्भ करने के लिए शुभ मानी जाती है।
3.वार:
बुधवार, बृहस्पतिवार एवं शुक्रवार को शिक्षा प्रारम्भ करने के लिए अति उत्तम दिन माना गया है। रविवार एवं सोमवार को मध्यम दिन कहा गया है और मंगलवार एवं शनिवार को इस कार्य के लिए अच्छा नहीं माना गया है अत: इन दोनों दिनों में बच्चों की शिक्षा शुरू नहीं करें।
4.लग्न:
मुहुर्त के लग्न में चर राशि यानी मेष, कर्क, तुला या मकर हो जिनके केन्द्र या त्रिकोण में प्रथम, चतुर्थ, पंचम, सप्तम, नवम, दशम भाव में शुभ ग्रह हों तथा तृतीय, षष्टम, दशम और एकादश भाव में पाप ग्रह हों और अष्टम व द्वादश भाव खाली हों तो उत्तम स्थिति होती है।
5.चन्द्र/तारा:
जिस दिन गोचरवश चन्द्रमा जन्म के समय जिस राशि में था उस राशि से चतुर्थ, अष्टम अथवा द्वादश भाव में उपस्थित हो तथा तृतीय भाव, पंचम भाव एवं सप्तम भाव में तारा नहीं हो उस दिन आप बच्चों की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं।
6.नक्षत्र:
जिस दिन चर नक्षत्र यानी स्वाती, पुनर्वसु, श्रवण, घनिष्ठा और शतभिषा हो। लघु नक्षत्र यानी हस्त, अश्विनी, पुष्य मूल, पूर्वाफाल्गुनी, पूर्वाषाढ़ा, पूर्वाभाद्रपद, मृगशिरा, चित्रा, आर्द्रा या आश्लेषा हो वह दिन शिक्षा शुरू करने के लिए अत्यंत शुभ माना गया है, इस दिन बच्चों की शिक्षा शुरू करना शुभफलदायी होता है।
7.आयु:
बच्चों की शिक्षा शुरू करने के लिए उम्र का विचार भी आवश्यक है आप जब अपने बच्चे का स्कूल में नामांकण करायें अथवा उनकी पढ़ाई शुरू करें तो यह ध्यान रखें कि आपका बच्चा जन्म से विषम वर्षों में हो यानी 3, 5,7 साल का हो। अगर सम वर्षों में आप बच्चे की शिक्षा प्रारम्भ कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि चतुर्थ वर्ष के एवं छठे वर्ष के प्रथम महीने व अन्तिम 3 महीने में आप बच्चे की पढ़ाई शुरू कर सकते हैं।
8.निषेध:
भद्रा और अशुभ योगों में अपने बच्चे की पढ़ाई शुरू न करें. इन आठ तथ्यों का विचार करके अगर आप बच्चे की पढ़ाई शुरू करते हैं तो आपका बच्चा पढ़ने लिखने में होशियार हो सकता है।
No comments:
Post a Comment