कुछ अशुभ योगों की गिनती में यमघंटक योग का नाम भी आता है। यह वह योग है जो अच्छे कार्यों में त्याज्य होता है। इस योग में व्यक्ति के किए गए शुभ कार्यों में असफलता की संभावना बढ़ जाती है। ज्योतिष में इन्हीं कुछ योगों को अशुभ योगों की श्रेणी में रखा जाता है। इन योग में यमघंटक का नाम भी प्रमुख रुप से आता है।
इस योग में शुभ एवं मांगलिक कामों को न करने की बात कही गई है। मंगल कार्यों को करने के लिए त्याज्य माने गए इन योगों का निर्धारण करने के कुछ नियम बताए हैं। जहां पर इन के होने की स्थिति को बताया गया है, अत: शुभ कामों को करने के लिए इन अशुभ योगों को त्यागना चाहिए। यात्रा, बच्चों के लिए किए जाने वाले शुभ कार्य तथा संतान के जन्म समय में भी इस योग का विचार किया जाता है।
वसिष्ठ ऋषि द्वारा कहा गया है कि, दिवसकाल में यदि यमघंटक नामक दुष्ट योग हो तो मृत्युतुल्य कष्ट हो सकता है, परंतु साथ ही रात्रिकाल में इसका फल इतना अशुभ नहीं माना जाता।
-: यमघंटकयोग के नियम :-
* रविवार के दिन जब मघा नक्षत्र का संयोग बनता है, तो यमघंटक योग का निर्माण होता है, जो कि अच्छा नहीं होता है।
* सोमवार का दिन हो और उस दिन विशाखा नक्षत्र होने पर यमघंटक योग का निर्माण होता है।
* मंगलवार के दिन आर्द्रा नक्षत्र का संयोग होने पर यमघंटक योग का निर्माण होता है।
* बुधवार के दिन जब मूल नक्षत्र का संयोग होने पर यमघंटक योग का निर्माण होता है।
* बृहस्पतिवार के दिन कृतिका नक्षत्र का संयोग होने पर यमघंटक योग का निर्माण होता है।
* शुक्रवार के दिन रोहिणी नक्षत्र का संयोग होने पर यमघंटक योग का निर्माण होता है।
* शनिवार के दिन हस्त नक्षत्र का संयोग होने पर यमघंटक योग का निर्माण होता है।
किसी भी कार्य को करने हेतु एक अच्छे समय की आवश्यकता होती है। हर शुभ समय का आधार तिथि, नक्षत्र, चंद्र स्थिति, योगिनी दशा और ग्रह स्थिति के आधार पर किया जाता है। शुभ कार्यों के प्रारंभ में भद्राकाल से बचना चाहिये। चर, स्थिर व द्विस्वभाव लग्नों का ध्यान रखना चाहिए। जिस कार्य के लिए जो समय निर्धारित किया गया है, यदि उस समय पर उक्त कार्य किया जाए तो मुहूर्त्त के अनुरूप कार्य सफलता को प्राप्त करता है।
योगों में जीवन का सारांश छुपा होता है, जिसे पढ़कर व्यक्ति भूत, भविष्य और वर्तमान के संदर्भ में अनेक बातों को जान सकता है। ज्योतिष में अनेक योगों का निर्माण होता है, कुछ शुभ योग होते हैं और कुछ अशुभ योग होते हैं। कौन सा योग किस प्रकार के फल देगा इस बात को तभी समझा जा सकता है। जब हम उसके नियमों को समझ सकें ।
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