बुध के कारक तत्वों में जातक को कई अनेक प्रकार के कार्यो एवं व्यवसायों की प्राप्ति दिखाई देती है। बुध एक पूर्ण वैश्य रूप का ग्रह है, व्यापार से जुडे़ होने वाला एक ग्रह है, जो जातक को उसके कारक तत्वों से पुष्ट करने में सहायक बनता है। इसी के साथ व्यक्ति को अपनी बौधिकता का बोध भी हो पाता है, और उसे सभी दृष्टियों से कार्यक्षेत्र में व्यापार करने वाला बनाता है।
बुध छवि राजकुमार है, अत: काम में भी यही भाव भी दिखाई देता है। किसी के समक्ष भी यह जातक को कम नहीं होने देता है। अपने काम में व्यक्ति को स्वतंत्रता प्राप्त होती है, और जातक किसी के अधीन बंधे नहीं रहना चाहता है। यदि इस ओर अधिक ध्यान दिया जाए तो व्यक्ति को स्वतंत्र विचारधारा वाला बनाता है। जातक अपने ज्ञान कर्म में अधिक सृजनशील होता है और पहल करने में भी आगे रहता है।
* यदि कुण्डली में बुध ग्रह दूसरे, पांचवें और नवम भाव [ इत्यादि बुद्धि स्थानों ] का स्वामी हो तथा व्यवसाय का प्रतिनिधित्व करे अर्थात लग्न-लग्नेश को चंद्रमा और सूर्य को प्रभावित करता हो, तो व्यक्ति बुद्धिजीवी होता है, जातक शिक्षा द्वारा धनोपार्जन करता है।
* बुध को वाणी का कारक कहा गया है, अत: दूसरे स्थान या पंचम स्थान में बुध की स्थिति उत्तम हो तो व्यक्ति अपनी वाणी द्वारा कार्य-क्षेत्र अथवा सामाजिक क्षेत्र दोनों में ही दूसरों द्वारा प्रशंसित होता है, और लोगों को अपनी वाक कुशला से प्रभावित करता है । व्यक्ति वकील, कलाकार, सलाहकार, प्रवक्ता इत्यादि कामों द्वारा अनुकूल फल प्राप्त करने में सफल रहता है।
* बुध व्यक्ति के काम में व्यापार का प्रतिनिधित्व करता है। अगर कुण्डली में बुध ग्रह शनि व शुक्र जैसे व्यापार से प्रभावित ग्रहों के साथ संबंध बनाता है। तो जातक व्यापार के क्षेत्र में अच्छे काम करने की चाह रख सकता है। बुध की प्रबलता जातक को इन ग्रहों के साथ मिलकर प्रभावित करने में सक्षम होती है।
* बुध और शुक्र दोनों बलवान हों तो जातक को वस्त्र उद्योग में अच्छी सफलता मिलने की संभावना बढ़ जाती है।
* बुध लेखन का कार्य भी देता है। यदि यह सूर्य जो राज्य से संबंधित होता है, उससे प्रभावित हो तो जातक अवश्य ही किसी लेखन संस्था से जुड़ सकता है। बुध अधिक बली हो तो आशुलिपिक या लेखा अधिकारी भी बना सकता है। बुध यदि तीसरे स्थान का स्वामी होकर दशम से संबंध बनाता है अथवा लग्न लग्नेश अपना प्रभाव डालता है, तो जातक लेखक बनकर धनोपार्जन कर सकता है।
* जन्म कुण्डली में यदि बुध मंगल के साथ बली अवस्था में स्थित हो तथा कर्म स्थल का द्योतक बनता है तो व्यक्ति गणित के क्षेत्र में अथवा यान्त्रिक विभाग में कार्यरत होता है।
* बुध विनोद प्रिय है, इसलिए जब कुण्डली में यह चतुर्थेश, पंचमेश या शुक्र से संबंध बनाता हुआ दशम भाव को प्रभावित करता है तो जातक मनोविनोद के कार्यों व कलात्मक अभिव्यक्ति से आजीविका कमा सकता है।
* बुध एक सलाहकार व मध्यस्थ व एजेंट की भांति भी कार्य करने में तत्पर रहता है, यदि बुध दशम भाव को प्रभावित करते हुए चतुर्थेश और मंगल से प्रभावित होता है, तो जातक भूमि भवन का एजेन्ट हो सकता है।
* बुध बुद्धि का कारक ग्रह है, अत: व्यक्ति ऎसे क्षेत्रों में अधिक देखा जा सकता है, जहां पर बुद्धिजीवीयों का स्थान होता है, वहां यह अपना स्थान बनाता है। इसी के साथ साथ यदि जातक को अपनी शैक्षिक संस्था का निर्माण करने की चाह हो तो गुरू और बुध का संबंध होने पर यह सहायक बनता है।
* व्यवसाय के दृष्टिकोण में बुध एक बहुत अच्छा व्यवसायी होता है। इसके संदर्भ में व्यक्ति को वाक कुशलता और बुद्धि चातुर्य मिलता है। कुण्डली में बुध की स्थिति उत्तम होने पर जातक को इसके दूरगामी परिणाम प्राप्त होते हैं।
* बुध के प्रभाव से जातक न्याय प्रिय होता है, और किसी के साथ बुरा न करने की कोशिश करता है। यदि कुण्डली में बुध की स्थिति उच्चता को पाती है, तो व्यक्ति मौलिक गुणों को बढा़ने में सहयोग करता है। जातक की वाणी में ओज रहता है। जिसकी मदद से वह भावों की अभिव्यक्त करने में भी सहयोगी रहता है। ऐसा जातक वाचाल होता है, सामने वाले की हर बात का जवाब इनके पास रहता है, ऐसा जातक भाषण देने में भी काफी प्रभावशाली रहता है।
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