Saturday, 25 April 2020

तुला लग्न और कुछ महत्वपूर्ण योग


तुला राशि भचक्र की सातवें स्थान पर आने वाली राशि है। भचक्र में इस राशि का विस्तार 180 अंश से 210 अंश तक फैला हुआ है। इस राशि का तत्व वायु है। इसलिए इस राशि के व्यक्तियों की विचारशक्ति अच्छी होती है। इस राशि की गणना चर राशि में होती है अर्थात इस राशि के प्रभाव से व्यक्ति कुछ ना कुछ करने में व्यस्त रहता है। इस राशि का स्वामी ग्रह शुक्र है, जिसकी गणना नैसर्गिक शुभ ग्रहों में होती है, और यह एक सौम्य ग्रह होता है। तुला राशि का चिन्ह एक तराजू है, जो जीवन में संतुलन को दर्शाता है।
इस लग्न के प्रभावस्वरुप आप संतुलित व्यक्तित्व के व्यक्ति होते हैं और आप न्यायप्रिय व्यक्ति भी होते हैं। तुला लग्न में जन्म लेने वालते जातकों का वर्ण गोरा, कद मध्यम एवं चेहरा सुन्दर होता है। चैड़ा मुख, बड़ी नाक, उन्नत एंव चैड़ी छाती वाले ऐसे जातकों को सदैव प्रसन्न चित्त एवं मुस्कुराते देखा जा सकता है। ये जिस किसी को मित्र मान लेते हैं, उसके लिए सर्वस्व देने में भी कभी नहीं चूकते। दूसरे के मन की बात यह बहुत अच्छे से जानते हैं, किन्तु अपने मन की थाह ये किसी को भी नहीं देते। उचित एवं तुरंत निर्णय ले लेना इनकी प्रमुख विशेषता होती है। ऐसे जातक प्रायः धार्मिक विचारों के होते हैं तथा इन्हें आस्तिक और सात्विक भी कहा जा सकता है। कैसी भी परिस्थितियां हो ये अपने को उनके अनुरूप ढाल लेते हैं। छोसी-से छोटी बात भी इनके मस्तिक को बेचैन कर देती है। भले ही ये साधनविहीन हों, किन्तु इनके लक्ष्य सदा उंचे ही होंगे। इनमें कल्पनाशक्ति गजब की होती है। ऐसे जातकों का रूझान न्याय एवं अनुशासन के प्रति अधिक होते हैं। राजनीतिक क्षेत्र में ऐसे जातक अधिक सफल होते हैं। परोपकार की भावना भी इनमें अत्याधिक होती है किन्तु अपने हानि-लाभ को भी ये पूरा ध्यान में रखते है। गरीबों को भोजन देने वाले, अतिथिसेवी तथा कुआं व बाग आदि बनाने वाले होते हैं। इनका हृदय शीघ्र ही द्रवित हो जाता है तथा इन्हें सच्चे अर्थों में पुण्यात्मा और सत्यावादी कहा जा सकता है। शुक्र के कारण ये बड़ी आयु में भी जवान दिखते हैं। बोल चाल में निपुण तथा चतुर व्यवहार के कारण किसी भी व्यापार में शीघ्र ही सफल हो जाते हैं. आपमें एक कुशल व्यापारी के समस्त गुण विद्यमान होते हैं तथा अपनी पारखी नज़रों से आप सच्चा परीक्षण करने की क्षमता रखते हैं। किसी के छलावे में तुला लग्न के जातक कभी नहीं आ सकते हैं. जन्म कुंडली में यदि शुक्र की स्तिथि अच्छी है तो आपमें अभिनेता बनने के सभी गुण होंगे। 
शुक्र को भोग का कारक भी माना जाता है। आपको विलासिता की वस्तुएँ खरीदना व उनके उपभोग करने में रुचि होगी। वायु प्रधान होने से आपकी विचारशक्ति बहुत अच्छी होती है और नित नई योजनाएँ बनाते हैं। तुला राशि को बनिक राशि भी कहा गया है, इसलिए यदि तुला राशि आपके लग्न में उदय होने से आप बहुत अच्छे व्यवसायी होते हैं। आप बिजनेस चलाने के लिए नई - नई योजनाओं को बना सकते हैं। आपको गीत,संगीत, नृत्य व अन्य कलाओ में रुचि हो सकती है क्योकि शुक्र को कला का भी कारक माना गया है. तुला राशि के स्वामी शुक्र होते हैं और बृहस्पति के साथ उन्हें भी गुरु का व मंत्री का दर्जा दिया गया है। इसलिए आप सत्यवादी व अनुशासनप्रिय व्यक्ति होते हैं। शुक्र को सुंदरत का कारक ग्रह माना जाता है इसलिए शुक्र के प्रभाव से आप सौन्दर्य प्रिय व्यक्ति होते हैं। सुंदर चीजों को एकत्रित करना आपका शौक हो सकता है। आपको नित नई फैशनेबल वस्त्र पहनना पसंद हो सकता है।

१.शनि इस लग्न में सर्वाधिक योग कारक है, यदि शनि अनुकूल स्थति में हो तो अपनी दशा, अन्तर्दशा में जातक को राजयोग प्रदान कर देता है।
२. यदि शनि लग्न में होतो, शश योग नामक पञ्च महा पुरुष नामक योग होता है, जिसके फलस्वरूप जातक जीवन के सभी भोग भोगने में सफल होता है, किन्तु दाम्पत्य जीवन तथा दैनिक कार्य - व्यवसाय में परेशानियों का सामना करना पडता है।
३. यदि शनि लग्न में उच्च राशी तुला में होतो, यह शनि जातक के स्त्री सुख में कमी तथा दैनिक काम काज में परेशानी पैदा कर देता है।
. यदि बुध केंद्र १, ४, ७, १० अथवा ९ वे भाव या १२ वे भाव में होतो, यह बुध जातक को लाभ देगा, अन्य भावों में हानी देगा।
५. यदि शुक्र लग्न में होतो वह जातक कुलदीपक बनाकर एश्वर्य पूर्ण जीवन जीने में सफल होता है।
. यदि चंद्रमा ४ थे , ५ वे अथवा ९ वे भाव में होगा तो अपनी दशा, अन्तर्दशा में जातक को उत्तम फल देगा।
७. यदि सूर्य २ रे , ९ वे भाव अथवा ११ वे भाव में होतो यह सूर्य जातक को उत्तम लाभ देता है।
८. यदि सूर्य ६ ठे, ८ वे अथवा १२ भाव या शत्रु राशि में होतो शुभ फल देने में असमर्थ रहता है।
९. जिस जातक ६ ठे भाव में मंगल होता है उस जातक की अपनी पत्नी से वैचारिक मतभेद के साथ - साथ शारीर में कम्पन का रोग भी हो सकता है।
१०. यदि ७ वे भाव में मंगल होतो, विवाह में विलंब होता है।
११. यदि ९ वे भाव में चंद्रमा और १० वे भाव में बुद्ध होतो, यह एक सर्वश्रेष्ठ राजयोग होता है।
१२. यदि चंद्रमा+बुद्ध की युति ९ वे, १० वे अथवा १ ले प्रथम भाव में होतो, यह प्रबल राजयोग होता है।
१३.जिस जातक की कुंडली में किसी भी भाव में मंगल+शनि+सूर्य+बुद्ध की युति होतो, उस जातक को खूब धन लाभ होता है।
१४.जिस जातक की कुंडली में शनि+सूर्य की युति हो अथवा शनि+मंगल की युति होतो, उस जातक को पुत्र सुख की कमी रहती है।
१५. यदि जिस जातक का शुक्र अस्त हो या पाप प्रभाव में होतो, उस जातक को स्वास्थ से सम्बंधित परेशानियां होती है।
१६. जिस जातक के १२ वे भाव में बुध हो, उस जातक को भाग्य का भरपूर सहयोग मिलता है।

१७. यदि लग्न में बुध+शुक्र की युति होतो वह जातक धार्मिक होता है।

शुभ ग्रह : शुक्र लग्नेश, शनि पंचमेश व चतुर्थेश, बुध नवमेश होकर प्रबल कारक हो जाते हैं। इनकी प्रबल स्थिति दशा महादशा में व्यक्ति को धरती से आसमान पर पहुँचा देती है। अत: इन ग्रहों की शुभता हेतु सतत प्रयास करना चाहिए।

अशुभ ग्रह : सूर्य एकादशेश, चंद्रमा दशमेश व गुरु तृतीय व षष्ठेश होकर अशुभ हो जाते हैं। इनकी दशाएँ प्रतिकूल होती हैं।
तटस्थ : इस लग्न के लिए मंगल तटस्थ हो जाता है।

इष्ट : दुर्गा के रूप (देवी स्वरूप)।
अंक : 3, 7।
वार : शुक्रवार, शनिवार।
रंग : सफेद, नीला।
रत्न : हीरा, पन्ना, नीलम।

2 comments:

  1. Tula lagna ki 12th house mein surya hai toh kya hota hai.

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    1. Mere bhi hai khuch nhi hoga आंखों main कष्ट khud ki aur pita ka saath n milega balaji ki pooja kro sb shi hoga

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