*************रक्षा बंधन: स्नेह की अटूट डोर*************
श्रावण मास की पूर्णिमा में भद्रा रहित समय में रक्षा की प्रतिक राखी बांधना विशेष शुभ रहता है | इस अवधि में ही रक्षा बंन्धन का पर्व पारम्परिक रुप से मनाने का विधान है | रक्षा बंधन में संक्रान्ति दिन और ग्रहण पूर्वकाल का विचार नहीं किया जाता है |
वेद शास्त्रों के अनुसार रक्षिका को आज के आधुनिक समय में राखी के नाम से जाना जाता है. रक्षा सूत्र को सामान्य बोलचाल की भाषा में राखी कहा जाता है. इसका अर्थ रक्षा करना, रक्षा को तत्पर रहना या रक्षा करने का वचन देने से है.
श्रावण मास की पूर्णिमा का महत्व इस बात से और बढ़ जाता है, कि इस दिन पाप पर पुण्य, कुकर्म पर सत्कर्म और कष्टों के उपर सज्जनों का विजय हासिल करने के प्रयासों का आरंभ हो जाता है। जो व्यक्ति अपने शत्रुओं या प्रतियोगियों को परास्त करना चाहता है, उसे इस दिन वरूण देव की पूजा करनी चाहिए |
दक्षिण भारत में इस दिन न केवल हिन्दू वरन् मुसलमान, सिक्ख और ईसाई सभी समुद्र तट पर नारियल और पुष्प चढ़ाना शुभ समझा जाता है | नारियल को भगवान शिव का रुप माना गया है, नारियल में तीन आंखे होती है | तथा भगवान शिव की भी तीन आंखे है |
रक्षाबंधन मुहूर्त : इस वर्ष रक्षा बंधन 26th अगस्त 2018, रविवार को मनाया जाएगा।
मुहूर्त की अवधि = 02 घंटे 33 मिनट।
रक्षा बंधन के दिन भद्रा सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी।
सावन माह की पूर्णिमा तिथि 25th अगस्त 2018, शनिवार 15:16 से प्रारंभ होगी।
जिसका समापन 26th अगस्त 2018, रविवार 17:25 पर होगा।
अर्थात :- इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र दोपहर 12.35 बजे तक रहेगा। रक्षाबंधन का मुहूर्त 26 अगस्त को प्रातः 7.43 से दोपहर 12.28 बजे तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 2.03 से 3.38 बजे तक रहेगा। सायं 5.25 पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी, " लेकिन सूर्योदय व्यापिनी तिथि मानने के कारण रात्रि में भी राखी बांधी जा सकेगी "।
शुभ समय :
* प्रातः 7:43 से 9:18 तक चर
* प्रातः 9:18 से 10:53 तक लाभ
*प्रातः10:53 से 12:28 तक अमृत
*दोपहर: 2:03 से 3:38 तक शुभ
* सायं: 6:48 से 8:13 तक शुभ
*रात्रि: 8:13 से 9:38 तक अमृत
* रात्रि: 9:38 से 11:03 तक चर
;अशुभ समय :
धागे से जुडे अन्य संस्कार : हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूजा कार्य में हाथ में कलावा ( धागा ) बांधने का विधान है | यह धागा व्यक्ति के उपनयन संस्कार से लेकर उसके अन्तिम संस्कार तक सभी संस्करों में बांधा जाता है | राखी का धागा भावनात्मक एकता का प्रतीक है | स्नेह व विश्वास की डोर है | धागे से संपादित होने वाले संस्कारों में उपनयन संस्कार, विवाह और रक्षा बंधन प्रमुख है।
पुरातन काल से वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। बरगद के वृक्ष को स्त्रियां धागा लपेटकर रोली, अक्षत, चंदन, धूप और दीप दिखाकर पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। आंवले के पेड़ पर धागा लपेटने के पीछे मान्यता है कि इससे उनका परिवार धन धान्य से परिपूर्ण होगा।
वह भाइयों को इतनी शक्ति देता है कि वह अपनी बहन की रक्षा करने में समर्थ हो सके। श्रवण का प्रतीक राखी का यह त्यौहार धीरे-धीरे राजस्थान के अलावा अन्य कई प्रदेशों में भी प्रचलित हुआ और सोन, सोना अथवा सरमन नाम से जाना गया।
राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करें, इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है |
" ऊं येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महा
तेन त्वां प्रति बध्नामि, रक्षे मा चल मा चल "
इसका अर्थ है –> जिस प्रकार राजा बलि में रक्षा सूत्र से बंधकर विचलित हुए बिना अपना सब कुछ दान कर दिया, उसी प्रकार हे रक्षा! आज मैं तुम्हें बांधता हूं, तू भी अपने उद्देश्य से विचलित न होना और दृढ़ बना रहना ।
श्रावण मास की पूर्णिमा में भद्रा रहित समय में रक्षा की प्रतिक राखी बांधना विशेष शुभ रहता है | इस अवधि में ही रक्षा बंन्धन का पर्व पारम्परिक रुप से मनाने का विधान है | रक्षा बंधन में संक्रान्ति दिन और ग्रहण पूर्वकाल का विचार नहीं किया जाता है |
वेद शास्त्रों के अनुसार रक्षिका को आज के आधुनिक समय में राखी के नाम से जाना जाता है. रक्षा सूत्र को सामान्य बोलचाल की भाषा में राखी कहा जाता है. इसका अर्थ रक्षा करना, रक्षा को तत्पर रहना या रक्षा करने का वचन देने से है.
श्रावण मास की पूर्णिमा का महत्व इस बात से और बढ़ जाता है, कि इस दिन पाप पर पुण्य, कुकर्म पर सत्कर्म और कष्टों के उपर सज्जनों का विजय हासिल करने के प्रयासों का आरंभ हो जाता है। जो व्यक्ति अपने शत्रुओं या प्रतियोगियों को परास्त करना चाहता है, उसे इस दिन वरूण देव की पूजा करनी चाहिए |
दक्षिण भारत में इस दिन न केवल हिन्दू वरन् मुसलमान, सिक्ख और ईसाई सभी समुद्र तट पर नारियल और पुष्प चढ़ाना शुभ समझा जाता है | नारियल को भगवान शिव का रुप माना गया है, नारियल में तीन आंखे होती है | तथा भगवान शिव की भी तीन आंखे है |
रक्षाबंधन मुहूर्त : इस वर्ष रक्षा बंधन 26th अगस्त 2018, रविवार को मनाया जाएगा।
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त = 05:59 से 17:25 तक।
मुहूर्त की अवधि = 11 घंटे 26 मिनट।
रक्षा बंधन में अपराह्न मुहूर्त = 13:39 से 16:12 तक। मुहूर्त की अवधि = 02 घंटे 33 मिनट।
रक्षा बंधन के दिन भद्रा सूर्योदय से पूर्व ही समाप्त हो जाएगी।
सावन माह की पूर्णिमा तिथि 25th अगस्त 2018, शनिवार 15:16 से प्रारंभ होगी।
जिसका समापन 26th अगस्त 2018, रविवार 17:25 पर होगा।
अर्थात :- इस दिन धनिष्ठा नक्षत्र दोपहर 12.35 बजे तक रहेगा। रक्षाबंधन का मुहूर्त 26 अगस्त को प्रातः 7.43 से दोपहर 12.28 बजे तक रहेगा। इसके बाद दोपहर 2.03 से 3.38 बजे तक रहेगा। सायं 5.25 पर पूर्णिमा तिथि समाप्त हो जाएगी, " लेकिन सूर्योदय व्यापिनी तिथि मानने के कारण रात्रि में भी राखी बांधी जा सकेगी "।
शुभ समय :
* प्रातः 7:43 से 9:18 तक चर
* प्रातः 9:18 से 10:53 तक लाभ
*प्रातः10:53 से 12:28 तक अमृत
*दोपहर: 2:03 से 3:38 तक शुभ
* सायं: 6:48 से 8:13 तक शुभ
*रात्रि: 8:13 से 9:38 तक अमृत
* रात्रि: 9:38 से 11:03 तक चर
;अशुभ समय :
*राहु काल प्रातः 5:13 से 6:48
* यम घंटा दोप. 12:28 से 2:03
*गुली काल दोप. 3:38 से 5:13
*काल चौघड़िया दोप. 12:28 से 2:03
धागे से जुडे अन्य संस्कार : हिन्दू धर्म में प्रत्येक पूजा कार्य में हाथ में कलावा ( धागा ) बांधने का विधान है | यह धागा व्यक्ति के उपनयन संस्कार से लेकर उसके अन्तिम संस्कार तक सभी संस्करों में बांधा जाता है | राखी का धागा भावनात्मक एकता का प्रतीक है | स्नेह व विश्वास की डोर है | धागे से संपादित होने वाले संस्कारों में उपनयन संस्कार, विवाह और रक्षा बंधन प्रमुख है।
पुरातन काल से वृक्षों को रक्षा सूत्र बांधने की परंपरा है। बरगद के वृक्ष को स्त्रियां धागा लपेटकर रोली, अक्षत, चंदन, धूप और दीप दिखाकर पूजा कर अपने पति के दीर्घायु होने की कामना करती है। आंवले के पेड़ पर धागा लपेटने के पीछे मान्यता है कि इससे उनका परिवार धन धान्य से परिपूर्ण होगा।
वह भाइयों को इतनी शक्ति देता है कि वह अपनी बहन की रक्षा करने में समर्थ हो सके। श्रवण का प्रतीक राखी का यह त्यौहार धीरे-धीरे राजस्थान के अलावा अन्य कई प्रदेशों में भी प्रचलित हुआ और सोन, सोना अथवा सरमन नाम से जाना गया।
रक्षा बंधन संस्कार : इस दिन बहनें प्रातः उठकर सर्वप्रथम स्नान आदि करके नए कपड़े पहनती हैं। इसके बाद पीतल की थाली तैयार करती है। जिसमे राखी के साथ-साथ कुमकुम, हल्दी, चावल, मिठाई और कुछ पैसे भी होते है। सर्वप्रथम देवताओ की पूजा की जाती है, और उसके बाद भाई के माथे पर हल्दी और कुमकुम से टीका लगाकर उनपर चावल लगाए जाते है और थोड़े से अक्षत फेंकते हुए मंत्र पढ़ती हैं, और उसकी दाहिनी कलाई पर राखी बांधी जाती है। थाली में रखे पैसो को भाई पर न्योछावर करके गरीबो में दान कर दिया जाता है। इस पुरे कार्यक्रम के समाप्त होने तक बहनें अन्न ग्रहण नही करती है। हिन्दुओ में रिवाज है जब तक बहन अपने भाई की कलाई पर राखी न बांध ले उसे उपवास रखना होता है। इसके बाद भाई अपनी क्षमता अनुसार बहन को उपहार या धन देता है।
रक्षा बंधन मंत्र :
राखी बांधते समय बहनें निम्न मंत्र का उच्चारण करें, इससे भाईयों की आयु में वृ्द्धि होती है |
" ऊं येन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महा
तेन त्वां प्रति बध्नामि, रक्षे मा चल मा चल "
इसका अर्थ है –> जिस प्रकार राजा बलि में रक्षा सूत्र से बंधकर विचलित हुए बिना अपना सब कुछ दान कर दिया, उसी प्रकार हे रक्षा! आज मैं तुम्हें बांधता हूं, तू भी अपने उद्देश्य से विचलित न होना और दृढ़ बना रहना ।
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